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आंखों की जलन से लेकर फेफड़ों की गंभीर बीमारियों तक, हमारे शरीर को किस तरह नुकसान पहुंचाता है वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण आज की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन गया है. इससे आंखों और नाक में जलन, सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा और फेफड़ों के संक्रमण जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं.

आंखों की जलन से लेकर फेफड़ों की गंभीर बीमारियों तक, हमारे शरीर को किस तरह नुकसान पहुंचाता है वायु प्रदूषण
Shivendra Singh|Updated: Nov 29, 2024, 08:45 PM IST
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वायु प्रदूषण आज की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन गया है. इससे आंखों और नाक में जलन, सांस लेने में तकलीफ और अस्थमा, सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और फेफड़ों के संक्रमण जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. खासतौर पर शहरी इलाकों में प्रदूषण का प्रभाव ज्यादा दिखाई देता है, जहां घने वाहन, इंडस्ट्रियल एक्टिविटी और हरियाली की कमी स्थिति को और खराब कर देते हैं.

वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार महीन कण (PM2.5 और PM10) और हानिकारक गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड हैं. ये प्रदूषक न केवल सांस की नली को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि फेफड़ों की ऊतक को भी प्रभावित करते हैं. इसके कारण शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

दिल्ली स्थित सीके बिड़ला हॉस्पिटल में डायरेक्टर- पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल ने बताया कि बच्चे, बुजुर्ग और पहले से अस्थमा या क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़ों की काम करने की क्षमता घट जाती है और गंभीर स्थितियां जैसे सीओपीडी या दिल की बीमारी विकसित हो सकती हैं.

आंखों और त्वचा पर प्रभाव
प्रदूषण का असर सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं है. हवा में मौजूद हानिकारक कण आंखों में जलन, खुजली और सूखापन पैदा कर सकते हैं. लंबे समय तक इन प्रभावों को नजरअंदाज करना आंखों के लिए घातक हो सकता है.

बचाव के उपाय
प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को मास्क पहनने, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने और अधिक प्रदूषण के समय बाहर जाने से बचने की सलाह दी जाती है. सामुदायिक लेवल पर वाहन उत्सर्जन पर सख्त नियम, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा और वनीकरण के प्रयास जरूरी हैं.

सामूहिक प्रयास की जरूरत
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पर्सनल और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं. केवल प्रदूषण को कंट्रोल करके ही हम अपनी और आने वाली पीढ़ियों की सेहत को बेहतर बना सकते हैं. वायु की क्वालिटी सुधारने के लिए सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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