trendingNow12764343
Hindi News >>लाइफस्टाइल
Advertisement

'दोधारी तलवार' हैं मोबाइल और सोशल मीडिया, टीन एजर्स की जिंदगी में ऐसे घोल रहे जहर, कैसे करें इस दानव से जंग?

जब से डिजिटल क्रांति आई है तब से मोबाइल फोन और सोशल मीडिया हर किसी के जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. तो टीन एजर्स कहां पीछे रहने वाले. यूं कहें कि किशोर उम्र के लोग इन गैजेट्स के सबसे बड़े यूजर्स बन चुके हैं.

'दोधारी तलवार' हैं मोबाइल और सोशल मीडिया, टीन एजर्स की जिंदगी में ऐसे घोल रहे जहर, कैसे करें इस दानव से जंग?
Shariqul Hoda|Updated: May 19, 2025, 02:06 PM IST
Share

Effect of Social Media on Teenagers: जब से डिजिटल क्रांति आई है तब से मोबाइल फोन और सोशल मीडिया हर किसी के जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. तो टीन एजर्स कहां पीछे रहने वाले. यूं कहें कि किशोर उम्र के लोग इन गैजेट्स के सबसे बड़े यूजर्स बन चुके हैं. हालांकि इन तकनीकों के बेशुमगार फायदे हैं, लेकिन हद से ज्यादा इस्तेमाल और अनकंट्रोल्ड तरीके से यूज टीन एजर्स की जिंदगी में जहर घोल रहा है. इससे शॉर्ट या लॉन्ग टर्म प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. आइए जानते हैं कि मोबाइल और सोशल मीडिया के बुरे असर से टीन एजर्स को कैसे बचाया जा सकता है.

मोबाइल और सोशल मीडिया का असर

1. खराब मेंटल हेल्थ
सोशल मीडिया पर लगातार खुद को किसी से कंपेयर करना और परफेक्ट लाइफ की इमेज टीन एजर्स में हीन भावना, एंग्जायटी और डिप्रेशन को जन्म दे रही हैं. कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर दिखने वाली चमक-दमक वाली जिंदगी किशोरों को ये महसूस कराती है कि उनकी जिंदगी बेकार है. साइबरबुलिंग भी एक बड़ी परेशानी है, जो कॉन्फिडेंस को तोड़कर रख देती है. रोजाना 3 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाव करने वाले टीन एजर्स में डिप्रेशन का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.

2. फिजिकल हेल्थ पर असर
मोबाइल की स्क्रीन पर घंटों वक्त बिताने से आंखों की रोशनी कम हो रही है और नींद की कमी देखने को मिल रही है. नींद न पूरी होने से थकान, चिड़चिड़ापन और कंसंट्रेशन में कमी आती है। इसके अलावा, गलत पोस्चर में बैठकर फोन चलाने से गर्दन और पीठ दर्द की शिकायतें आम हो गई हैं.

3. वर्चुअल वर्ल्ड को प्रायोरिटी
सोशल मीडिया पर घंटो वक्त बिताने के चक्कर में टीन एजर्स अपने परिवार और दोस्तों से इमोशनली दूर होते जा रहे हैं. असल रिश्तों के बजाए वर्चुअल वर्ल्ड के रिश्तों को तरजीह दी जा रही है. ऐसे में आगे चलकर उन्हें इमोशनल खालीपन का सामना करना पड़ सकता है

 

पढ़ाई और प्रोडक्टिविटी पर असर
मोबाइल और सोशल मीडिया की लत के कारण टीन एजर्स का ध्यान पढ़ाई से भटक रहा है. नोटिफिकेशन्स और रील्स की दुनिया में खोए रहने से वक्त का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता, जिसका असर उनके एकेडमिक परफॉर्मेंस पर पड़ता है. साथ ही फ्यूचर में उनकी प्रोडक्टिविटी भी कम हो सकती है

इस दानव से जंग कैसे करें?

1. स्क्रीन टाइम को लिमिट करें
टीन एजर्स को अपने स्क्रीन टाइम पर नजर रखनी चाहिए. रोजाना 1-2 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया का यूज न करें. फोन में स्क्रीन टाइम ट्रैकर ऐप्स का इस्तेमाल करें, जो तय लिमिट पार होने पर अलर्ट दें.

2. पैरेंट्स का रोल
माता-पिता को बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उनके ऑनलाइन बिहेवियर पर नजर रखनी चाहिए. घर में नियम बनाएं, जैसे रात में फोन का इस्तेमाल न करना या डाइनिंग टेबल पर फोन से दूरी. साथ ही, बच्चों को ऑफलाइन एक्टिविटीज जैसे स्पोर्ट्स, पेंटिंग या किताब पढ़ने के लिए इनकरेज करें.

3. सेहतमंद आदतें अपनाएं
टीन एजर्स को योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज जैसी एक्टिविटीज को अपनी डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए. ये न सिर्फ स्ट्रेस को कम करते हैं, बल्कि मेंटल हेल्थ को भी बेहतर बनाते हैं. नींद के लिए टाइम फिक्स करें और सोने से पहले फोन का इस्तेमाल बंद करें.

4. सोशल मीडिया डिटॉक्स
वक्त-वक्त पर सोशल मीडिया से ब्रेक लेते रहें. हफ्ते में एक दिन बिना फोन के बिताएं और असल दुनिया में दोस्तों-परिवार के साथ टाइम स्पेंड करें. ये सेल्फ एनालिसिस और दिमागी सुकून के लिए बेहद जरूरी है.

5. अवेयरनेस फैलाएं
स्कूलों और कम्यूनिटीज में सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल पर वर्कशॉप ऑर्गेनाइज किया जाना चाहिए. टीन एजर्स को ये समझाना जरूरी है कि ऑनलाइन दुनिया रियलिटी का सिर्फ एक छोटा हिस्सा है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

Read More
{}{}