उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में झुलसाती गर्मियों का अनुभव इस वक्त हर कोई कर रहा है. देश के कुछ हिस्सों में तो तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. ऐसे में लू से बचाव के लिए लोग छाते, पानी की बोतल, शिकंजी और आम पना तो रखते ही हैं, लेकिन कुछ लोग जेब में प्याज भी रख लेते हैं. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को कई लोग आज भी मानते हैं. हालांकि सवाल ये है कि क्या वाकई जेब में प्याज रखने से लू नहीं लगती या ये सिर्फ एक परंपरागत मान्यता भर है?
आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा मानते हैं कि प्याज में ठंडी तासीर होती है. इसमें मौजूद क्वेरसेटिन (Quercetin) और सल्फर जैसे कंपाउंड पसीना बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे शरीर गर्मी को बाहर निकालता है और ठंडा रहता है. इसके अलावा प्याज में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखने में मददगार होती है.
जेब में क्यों रखते हैं लोग प्याज?
ग्रामीण इलाकों और पुराने शहरों में लोग मानते हैं कि प्याज जेब में रखने से शरीर की गर्मी बाहर निकलती है और लू से बचाव होता है. यह एक टोटका है जो दादी-नानी के जमाने से चलता आ रहा है. हालांकि, अब तक कोई वैज्ञानिक अध्ययन इस बात की पुष्टि नहीं करता कि सिर्फ जेब में प्याज रखने से लू नहीं लगती.
क्या कहता है विज्ञान?
विशेषज्ञों का मानना है कि प्याज का सेवन यानी उसे कच्चा खाना, सलाद में शामिल करना या रायते में डालना, गर्मी से लड़ने के लिए ज्यादा असरदार है. प्याज में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर को हीट स्ट्रोक से बचा सकते हैं. वहीं, प्याज की तीखी गंध और वाष्पशील तेल त्वचा से संपर्क में आकर थोड़ी ठंडक का एहसास जरूर दे सकते हैं, लेकिन इससे लू का पूरी तरह बचाव संभव नहीं.
तो अगर आप लू से बचना चाहते हैं तो प्याज को अपने खानपान में जरूर शामिल करें, लेकिन सिर्फ जेब में रखने से ज्यादा उम्मीदें न पालें. खूब पानी पिएं, हल्का भोजन करें और धूप में जाने से बचें. प्याज के फायदे तो हैं, लेकिन इसका सही उपयोग जरूरी है. सिर्फ जेब में रखना नहीं, बल्कि खाना भी.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.