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सिर्फ पढ़ाई नहीं, मानसिक मजबूती भी जरूरी! अभिनव बिंद्रा ने बताया आत्मविश्वास बढ़ाने का तरीका

आज के कंपटीशन वाले दौर में, जहां असफलताओं और चुनौतियों का सामना करना आम बात है, वहां बच्चों का मानसिक रूप से मजबूत होना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है.

सिर्फ पढ़ाई नहीं, मानसिक मजबूती भी जरूरी! अभिनव बिंद्रा ने बताया आत्मविश्वास बढ़ाने का तरीका
Shivendra Singh|Updated: Mar 01, 2025, 01:09 PM IST
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मानसिक मजबूती (Mental Toughness) केवल बड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि बच्चों के लिए भी बेहद जरूरी होती है. खासकर आज के कंपटीशन दौर में, जहां असफलताओं और चुनौतियों का सामना करना आम बात है, वहां बच्चों का मानसिक रूप से मजबूत होना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. लेकिन सवाल यह है कि माता-पिता अपने बच्चों में यह मेंटल टफनेस कैसे विकसित करें?

ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा ने हाल ही में पैरेंट्स के लिए कुछ खास टिप्स शेयर किए, जो बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं. सैमसंग के एक इवेंट 'सैमसंग गैलेक्सी एम्पावर्ड: टीचर्स ऑफ टूमॉरो' में उन्होंने बताया कि स्ट्रेस मैनेजमेंट, फेल्योर को स्वीकार करना, हार से सीखना और आत्मविश्वास विकसित करना बच्चों के लिए बेहद जरूरी है. 

माता-पिता का योगदान अहम
अभिनव बिंद्रा का मानना है कि मेंटल स्ट्रेंथ सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने बताया कि बच्चों में मानसिक ताकत विकसित करने के लिए माता-पिता को असफलता को देखने का नजरिया बदलना होगा. उन्होंने कहा कि असफलता कोई रुकावट नहीं, बल्कि सीखने का एक जरिया है. उनके माता-पिता ने उनके करियर में बड़ा योगदान दिया, न सिर्फ फाइनेंशियल और इमोशनल रूप से बल्कि गलतियां करने और उनसे सीखने की आजादी देकर. जब कोई खिलाड़ी निर्णायक क्षण में अकेला होता है, तो मानसिक ताकत ही उसकी असली शक्ति बनती है. यह एक जर्नी है, जो हर अनुभव से सीखने और खुद को बेहतर बनाने से बनती है.

नेशनल लेवल के खिलाड़ियों में सेल्फ डाउट की समस्या
नेशनल लेवल पर कंपटीशन करने वाले खिलाड़ियों के सेल्फ डाउट (आत्म-संदेह) के बारे में पूछे जाने पर बिंद्रा ने कहा कि यह आम समस्या है. खुद उन्होंने भी इस संघर्ष को महसूस किया था. उनके अनुसार, आत्म-संदेह को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे सही दिशा में उपयोग किया जा सकता है. उन्होंने इसे दो तरीकों से संभाला – पहले, आत्म-संदेह को स्वीकार किया, क्योंकि इसका विरोध करने से यह और बढ़ जाता है. दूसरा, आत्म-विश्वास की जगह आत्म-सम्मान को चुना. आत्म-सम्मान का निर्माण हर दिन अपना बेस्ट देने, मेहनत करने और खुद को बीते कल से बेहतर बनाने से होता है.

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