Why Menopause Matters: हालांकि मेनोपॉज 45 से 55 वर्ष की महिलाओं के लिए एक यूनिवर्सल माइलस्टोन है, फिर भी इसको लेकर कई महिलाएं बात करने से बचती हैं. गलत समझे गए लक्षण और सामाजिक कलंक अक्सर महिलाओं को प्रोफेशनल मदद लेने से रोकते हैं. जिससे कई लोग इस लाइफ चेंजिंग ट्रांजीशन से चुपचाप पीड़ित रहते हैं. कई महिलाएं एब्सेंट माइंड, नींद न आना, बेचैनी, या जोड़ों के दर्द जैसे लक्षणों को तनाव, उम्र बढ़ने, या नॉर्मल हेल्थ प्रॉब्लम्स का इशारा मानती हैं, अक्सर मदद लेने के बजाय चुपचाप पीड़ित रहना पसंद करती हैं.
हर महिला का अलग चैलेंज
रीमा भंडेकर (Rima Bhandekar), सीनियर साइकोलॉजिस्ट कहा कहना है, "मेनोपॉज हर महिला को अलग तरह से अफेक्ट करता है, लेकिन इससे जुड़ी शर्म के कारण खुली बातचीत की कमी है. इमोशनल तौर, युवाओं के विजिबल साइन को छोड़ना और वजन बढ़ने, त्वचा में बदलाव, या बालों के पतले होने जैसे अचानक चेंजेज का सामना करना मुश्किल हो सकता है. समाज में महिलाओं की खूबसूरती को हद से ज्यादा अहमियत देने के कारण, सेल्फ कॉन्फिडंस को ठेस पहुंच सकती है."
परेशानी बढ़ने की वजह
मेनोपॉज के दौरान हार्मोन का लेवल कम होने से हॉट फ्लैशेज, रात में पसीना आना, और इंटिमेसी अफेक्ट हो सकती है, कुछ महिलाओं को फिजिकल रिलेशन बनाने की चाहत कम महसूस होती है या डिसकंफर्ट का अहसास होता है. हार्मोनल चेंजेज से मूड स्विंग, एंग्जाइटी और निराशा या कंट्रोल खोने की भावना भी हो सकती है. कई लोगों के लिए, अगर बहुत कम सपोर्ट या समझ है तो अकेलेपन की भावना गहरी हो जाती है.
फिजिकल चैलेंजेज
हालांकि इमोशनल इफेक्ट काफी अहम है, लेकिन फिजिकल सिम्पटम्स उतने ही चैलेंजिंग हैं. डॉ. तेजल कंवर (Dr. Tejal Kanwar), कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट बताती हैं, "एस्ट्रोजन में गिरावट कई बॉडी फंक्शंस को अफेक्ट करती है, जिससे हॉट फ्लैशेज, वजन बढ़ना और जोड़ों का दर्द जैसे ध्यान देने लायक चेंजेज होते हैं. त्वचा, बाल और हड्डियों की सेहत भी बदल सकता है, कुछ महिलाओं को बाल पतले होने और हड्डियों की डेंसिटी में कमी का अहसास होता है."
बदलता है शरीर
डॉ. कंवर कहती हैं, मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, या यहां तक कि डिप्रेशन के कारण मेनोपॉज मेंटली चैलेंजिंग हो सकता है. "कुछ महिलाएं अपनी पहचान खोने या कॉन्फिडेंस कम होने की भावना से जूझ सकती हैं क्योंकि उनका शरीर बदलता है."
इन बातों को समझें
हालांकि, मेनोपॉज एक अंत नहीं है, ये एक बदलाव है. सही सपोर्ट के साथ, महिलाएं इस नए स्टेज में हेल्दी और एम्पावर्ड महसूस कर सकती हैं. एक्पर्ट्स लक्षणों को कम करने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज, स्ट्रेंथ ट्रेनिग, बैलेंड न्यूट्रीशन, अच्छी नींद और माइंडफुलनेस की सलाह देते हैं. डॉक्टर से बात करना, या एक सपोर्ट ग्रुप में शामिल होना आपको राहत दिला सकता है. साइकोलॉजिस्ट रीमा भंडेकर आगे कहती हैं, "महिलाओं के लिए ये जानना जरूरी है कि वो अकेली नहीं हैं. समझ और सेल्फ केयर के साथ, वो मेनोपॉज का बहादुरी से सामना कर सकती हैं और खुद की एक नई भावना हासिल कर सकती हैं."
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.