Smoking Health Risks: अगर आप भी स्मोकिंग करने की आदत है तो अब सावधान हो जाइए. आपकी यह आदत आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है. बहुत से लोगों को लगता है कि सिगरेट पीने से कैंसर हो सकता है. लेकिन हकीकत इससे भी ज्यादा खतरनाक है. सिगरेट का हर कश न सिर्फ फेफड़ों को, बल्कि दिल और दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है. हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां सिगरेट से जुड़ी हुई हैं. आइए आज के इस आर्टिकल में जानते हैं कि कैसे सिगरेट बन सकती है उन बीमारियों की वजह, जो आपके जीवन के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं.
स्मोकिंग एक धीमा जहर है, जो धीरे-धीरे शरीर के अंगों को बर्बाद करके इंसान को खत्म कर देता है. डब्लूएचओ के मुताबिक स्मोकिंग से हर साल दुनिया भर में लाखों लोग की जान जाती है. स्मोकिंग से सिर्फ कैंसर का ही नहीं खतरा रहता है, बल्कि यह आपकी पूरी बॉडी को कई जानलेवा बीमारियों का शिकार बना सकता है. टोबैको और निकोटीन हर ऑर्गन को भारी नुकसान पहुचाते हैं. यहां सिगरेट पीने से होने वाली कुछ ऐसी गंभीर बीमारियां का जिक्र किया गया है, जो जान भी ले सकती हैं.
लंग कैंसर
सिगरेट पीने से सबसे ज्यादा जिस बीमारी का खतरा रहता है वह कैंसर. कैंसर में भी लंग कैंसर से सबसे ज्यादा लोग मरते हैं. लंग कैंसर से मरने वाले लोगों में 90% केस स्मोकिंग से जुड़े हैं. स्मोकर्स में इसका रिस्क नॉन-स्मोकर्स से करीब 30 गुना ज्यादा बढ़ जाता है. सेकंडहैंड स्मोक से भी इसका खतरा बढ़ जाता है और हर साल हजारों लोगों की जान इससे जाती है.
हार्ट डिजीज
अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो इससे हार्ट डिजीज का खतरा 4 गुना ज्यादा बढ़ जाता है. सिगरेट में होने वाला निकोटीन हार्ट को ऑक्सीजन कम देता है और हार्ट रेट बढ़ा देता है, जिससे हार्ट पर प्रेशर बढ़ने लगता है. देशभर में हार्ट डिजीज के कारण बहुत मौते होती हैं, इन मौतों में से हर पांचवीं मौत स्मोकिंग से जुड़ी होती है.
स्ट्रोक
स्मोकिंग की लत स्ट्रोक का रिस्क भी दोगुना कर देता है. यह ब्रेन में ब्लड सप्लाई में बाधा पहुंचाता है, जिससे पैरालिसिस, बोलने में परेशानी या मौत तक हो सकती है.स्ट्रोक एडल्ट्स में विकलांगता का बड़ा कारण है और मौत की प्रमुख वजहों में से एक है.
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी से जुड़ी अधिकांश मौतें स्मोकिंग करने के कारण होती है. यह फेफड़ों की एक खतरनाक बीमारी है, जो सांस लेना मुश्किल कर देती है और मौत का कारण बनती है. वहीं अगर कोई बचपन में स्मोकिंग करता है तो फेफड़ों का विकास रुक धीमा हो जाता है और सीओपीडी का रिस्क कई गुना तक बढ़ जाता है.
ओरोफेरीन्जियल कैंसर
सिगरेट पीने से ओरोफेरीन्जियल कैंसर का काफी ज्यादा खतरा रहता है. यह कैंसर मुंह या गले में शुरू होता है. यह होंठ, मसूड़े, गाल और वॉइस बॉक्स को प्रभावित करता है. जितना ज्यादा स्मोकिंग या तंबाकू सेवन, उतना ज्यादा खतरा.
कैटरैक्ट्स
सिगरेट पीने से आंखों के लेंस पर धुंध जमने लगती है जिससे धुंधला दिखने लगता है और अंधेपन तक की नौबत आ सकती है.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन
कई स्टडीज में स्मोकिंग को इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण पाया गया है. स्मोकिंग आर्टरीज में प्लाक जमा करता है और ब्लड फ्लो को रोकता है, जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन का खतरा 60% तक बढ़ जाता है.
टाइप 2 डायबिटीज
स्मोकिंग से टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना 30-40% तक बढ़ जाती है. साथ ही यह डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं को भी और गंभीर बना देती है.
रुमेटीइड आर्थराइटिस
कई स्टडीज ने दिखाया है कि स्मोकिंग से जोड़ों में सूजन, दर्द और टेढ़ापन बढ़ सकता है. यह बीमारी चलने-फिरने में दिक्कत पैदा करती है और स्थायी नुकसान कर सकती है.
सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम
प्रेगनेंसी के दौरान या उसके पहले स्मोकिंग करने वाली महिलाओं के बच्चों में अचानक नींद में मौत (SIDS) का खतरा ज्यादा होता है. अगर पिता भी स्मोक करता है तो यह खतरा और बढ़ जाता है.
एसोफैजियल कैंसर
एसोफैजियल कैंसर बहुत ही खतरनाक होता है. इसका रिस्क स्मोकिंग से बढ़ता है. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, जो स्किन या ऑर्गन्स की लाइनिंग पर होता है.
ओर्टिक एन्यूरिज्म
सिगरेट पीने वाले पुरुषों में एओर्टिक एन्यूरिज्म ज्यादा होता है. यह बॉडी की सबसे बड़ी धमनी (महाधमनी) को नुकसान पहुंचा सकता है और जानलेवा हो सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी इसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.