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बढ़ती उम्र ही नहीं, इस एक बुरी आदत से बढ़ा है रुमेटॉइड आर्थराइटिस, रिसर्च में दावा

रुमेटॉइड आर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जो चिंता का विषय है, लेकिन एक और बुरी आदत इस परेशानी को बढ़ा रही है. 

बढ़ती उम्र ही नहीं, इस एक बुरी आदत से बढ़ा है रुमेटॉइड आर्थराइटिस, रिसर्च में दावा
Shariqul Hoda|Updated: Jun 16, 2025, 01:31 PM IST
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Rheumatoid Arthritis: हम सिर्फ बढ़ती उम्र को गठिया की वजह मानते हैं, लेकिन एक और बड़ा कारण है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) बेस्ड स्टडी के मुताबिक, 1980 के बाद से ग्लोबल लेवल पर रुमेटॉइड आर्थराइटिस (RA) के मामलों में इजाफे का कारण बढ़ती उम्रदराज आबादी और धूम्रपान का बढ़ती लत है. रुमेटॉइड आर्थराइटिस एक क्रॉनिक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न का कारण बनती है.

रुमेटॉइड आर्थराइटिस का बढ़ता बोझ
'एनल्स ऑफ द रूमेटिक डिजीज' में छपी इस स्टडी में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं और बीमारी के बोझ में बढ़ती इनइक्वालिटी की बात सामने आई है. स्टडी में पाया गया कि उम्र बढ़ने, आबादी में बढ़ोतरी और असमान स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण अलग-अलग इलाकों में रूमेटाइड आर्थराइटिस के मामले अलग-अलग तरीके से बढ़ रहे हैं.

युवाओं पर भी असर
स्टडी ने 1980 से 2021 तक 953 ग्लोबल और लोकल एरियाज के डेटा को एनालाइज किया, जो ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) से लिया गया था. इसमें एक नए डीप लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल किया गया. फाइंडिंग्स से पता चला कि इस ड्यूरेशन में रुमेटॉइड आर्थराइटिस का ग्लोबल बोझ लगातार बढ़ा है, खासकर यंग एज ग्रुप में ये और भी बढ़ा है.

इन देशों में असमानता बढ़ी
खास तौर से 1990 के बाद से डिसेबिलिटी एडजस्टेड लाइफ ईयर्स (DALYs) से जुड़ी असमानता 62.55 फीसदी बढ़ी. 2021 में फिनलैंड, आयरलैंड और न्यूजीलैंड सबसे ज्यादा इनइक्वालिटी वाले देश रहे.

विकसित देशों में भी बीमारी
स्टडीज में ये भी पाया गया कि इकॉनमिकल फैक्टर्स अकेले बीमारी के बोझ को निर्धारित नहीं करते. हाई सोशियो डेवलपमेंट इंडेक्स (एसडीआई) वाले क्षेत्रों, जैसे जापान और यूके, में बीमारी का बोझ अलग-अलग है. जापान में उच्च एसडीआई के बावजूद डीएएलवाई दरों में कमी आई, जो जल्द इलाज, जैविक उपचारों के व्यापक उपयोग और एंटी इंफ्लेमेटरी आहार का नतीजा हो सकता है.

2040 तक का अनुमान
लंदन के इंपीरियल कॉलेज के लीड रिसर्चर क्यूरन लिन की लीडरशिर में शोधकर्ताओं ने बताया, “ साल 2040 तक, कम-मध्यम एसडीआई क्षेत्रों में उम्र बढ़ने और आबादी में इजाफे के कारण डीएएलवाई बढ़ सकता है, जबकि हाई एसडीआई क्षेत्रों में यह कम हो सकता है.”

स्मोकिंग पर लगाम जरूरी
रिसर्च में बताया गया कि स्मोकिंग पर कंट्रोल करने से ज्यादा धूम्रपान वाले क्षेत्रों (जैसे चीन) में रुमेटॉइड आर्थराइटिस से होने वाली मौतों में 16.8 फीसदी और डीएएलवाई में 20.6 फीसदी की कमी आ सकती है. रिसर्चर्स ने चेतावनी दी कि कई क्षेत्रों में अभी भी सटीक स्वास्थ्य नीतियों और टारगेटेड इंटरवेंशन के लिए जरूरी डेटा की कमी है.

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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