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इंप्रेस करने का प्रेशर बन रहा इस पीढ़ी के लिए बीमारी, क्यों GenZ में बढ़ रहा 'गुलामी वाला' ट्रॉमा रिस्पांस


दूसरों को इंप्रेस करने की कोशिश में लगे रहा, सबके सामने अच्छा बनने की कोशिश करना भले ही एक समय पर सर्वाइवल स्ट्रेटेजी रही हो, लेकिन लंबे समय तक यह पहचान, रिश्ते और मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है.  

इंप्रेस करने का प्रेशर बन रहा इस पीढ़ी के लिए बीमारी, क्यों GenZ में बढ़ रहा 'गुलामी वाला' ट्रॉमा रिस्पांस
Sharda singh|Updated: Aug 04, 2025, 06:21 PM IST
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  1. आज की युवा पीढ़ी खासतौर से जनरेशन जेड में चापलूसी (Fawning) स्वभाव तेजी से बढ़ रहा है. यह सुनने में बहुत ही मामूली है, क्योंकि इंसान खुद को बचाने के लिए और अपना काम निकलवाने के लिए इस तरह के पैंतरे को जरूरत पड़ने पर यूज करता आया है. लेकिन ये GenZ  के नेचर में घर कर चुका है, जिसका असर उनके मेंटल हेल्थ पर भी पड़ रहा है.
  2. मनोचिकित्सक डॉ. शोरौक मोटवानी ने एनडीटीवी को बताया कि फॉनिंग एक सीखा हुआ बिहेवियर है, जो तब जन्म लेता है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक असमान, दबाव भरे या भावनात्मक रूप से अस्थिर माहौल में जीता है. मेंटल हेल्थ पर इसका असर क्या होता है? यहां इस लेख में समझने की कोशिश करेंगे.
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  3.  
  4. क्या होता है फॉनिंग
    फॉनिंग दरअसल एक ट्रॉमा रिस्पॉन्स है, जो उस कंडीशन में पैदा होता है जब कोई व्यक्ति बार-बार स्ट्रेस या खराब रिश्तों से गुजरता है. इसमें व्यक्ति अपनी भावनाओं और जरूरतों को दबाकर दूसरों को खुश रखने और टकराव से बचने की कोशिश करता है. ऐसे लोग अक्सर किसी को ना नहीं कह पाते हैं. 
  5. सर्वाइवल रिस्पॉन्स
    डॉ. मोटवानी बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति बार-बार कंट्रोल, नजरअंदाज किए जाने वाले माहौल में रहता है, तो उसका दिमाग फॉनिंग को एक सेफ रास्ता मान लेता है. धीरे-धीरे यह आदत बन जाती है, जो सेल्फ डिपेंडेंट्स  और खुद की इमोशनल समझ को नुकसान पहुंचाती है.
  6. Gen Z में क्यों बढ़ रही चापलूसी की आदत
    इस पीढ़ी में फॉनिंग ट्रेंड बढ़ने के पीछे कई कारण हैं. इसमें ट्रॉमा वाले रिलेशनशिप, सोशल मीडिया पर वेलिडेशन पाने की आदत मुख्य रूप से शामिल है. सोशल मीडिया पर हर चीज को पसंद, शेयर और कमेंट के रूप में तौलने से जनरेशन जेड अक्सर खुद को दूसरों की उम्मीदों के अनुसार ढालने लगता है. 
  7. कैसे करें बचाव 
    फॉनिंग से बाहर निकलने के लिए सबसे पहला कदम है- इसे पहचानना. जब व्यक्ति समझने लगे कि वह दूसरों को खुश करने के चक्कर में खुद को नजरअंदाज कर रहा है, तब वह बदलाव की ओर पहला कदम बढ़ाता है. इससे उबरने के लिए थेरेपी, माइंडफुलनेस, और सीमाएं तय करना बेहद जरूरी हैं. 
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