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हार्दिक पांड्या और नताशा स्टेनकोविक ने खत्म किया अपना रिश्ता, माता-पिता के तलाक का बच्चे पर कैसे पड़ता है बुरा असर?

बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया से एक और जोड़ी अलग हो गई है. क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और एक्ट्रेस नताशा स्टेनकोविक अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला किया है.

हार्दिक पांड्या और नताशा स्टेनकोविक ने खत्म किया अपना रिश्ता, माता-पिता के तलाक का बच्चे पर कैसे पड़ता है बुरा असर?
Shivendra Singh|Updated: Jul 19, 2024, 05:46 AM IST
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Hardik Natasa divorce: बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया से एक और जोड़ी अलग हो गई है. क्रिकेटर हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) और एक्ट्रेस नताशा स्टेनकोविक (Natasa Stankovic) ने अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला किया है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा है कि वो अपने बेटे अगस्त्य की परवरिश में साथ मिलकर काम करेंगे.

अलग होने के साथ ही दोनों ने एक-दूसरे के लिए अच्छे शब्द कहे हैं लेकिन एक सवाल जो उठता है वो ये कि इस तरह के फैसले का बच्चे पर क्या असर पड़ता है? आइए समझते हैं. माता-पिता का तलाक किसी भी बच्चे के लिए एक बड़ा झटका होता है. ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे को कई तरह की इमोशन से गुजरना पड़ता है. उदासी, गुस्सा, भ्रम, चिंता, दोषी महसूस करना, प्यार करने वालों को खोने का डर, ये कुछ ऐसी भावनाएं हैं जिनसे बच्चे जूझते हैं.

बच्चे के लिए सबसे बड़ी चुनौती
बच्चे के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये होती है कि वो समझ नहीं पाते कि आखिर हुआ क्या है. उनके मन में सवालों का बवंडर रहता है. वो अपने माता-पिता को एक-दूसरे से दूर देखकर असमंजस की स्थिति में रहते हैं. तलाक के बाद बच्चे के व्यवहार में भी बदलाव आ सकते हैं. वो उदासीन हो सकते हैं, गुस्से में रह सकते हैं या फिर पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते हैं. कुछ बच्चे अपने आप को दोषी ठहराने लगते हैं.

उपाय क्या?
माता-पिता तलाक के बाद भी बच्चे के इमोशन का ख्याल रखें. उन्हें समझाएं कि तलाक उनके व्यवहार या उनकी वजह से नहीं हुआ है. उन्हें प्यार और सुरक्षा का एहसास दिलाएं। बच्चे को दोनों माता-पिता से मिलने का मौका दें. बच्चे की उम्र भी इस बात में अहम भूमिका निभाती है कि वो तलाक को कैसे लेगा. छोटे बच्चे इस स्थिति को ज्यादा मुश्किल से समझ पाते हैं. बड़े बच्चे थोड़े समझदार होते हैं लेकिन उन्हें भी समर्थन की जरूरत होती है. अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा तलाक के बाद किसी तरह की परेशानी से गुजर रहा है तो एक काउंसलर की मदद ले सकते हैं. याद रखें, बच्चे के इमोशन का ख्याल रखना सबसे जरूरी है.

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