Fighting between parents effects on child: मां-बाप का रिश्ता बच्चों के लिए एक सेफ हेवन की तरह होता है, लेकिन जब इस रिलेशनशिप में स्ट्रेस और झगड़े बढ़ते हैं, तो सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है. माता-पिता के बीच की अनबन बच्चों के मेंटल, इमोशनल और सोशल डेवलपमेट को गहरी चोट पहुंचा सकती है. आइए, 5 अहम प्वॉइंट्स में समझें कि मां-बाप के झगड़े के बीच बच्चे क्यों पिसते हैं.
मां-बाप के झगड़े का बच्चों पर असर
1. इमोशनल इनसिक्योरिटी
बच्चे को लिए उनके माता-पिता को अपनी दुनिया होते हैं. जब वे उनके बीच झगड़े देखते हैं, तो उनकी इमोशनल सिक्योरिटी डगमगा जाती है. उन्हें डर रहता है कि कहीं परिवार टूट न जाए या वो अकेले न रह जाएं. ये असुरक्षा उनके कॉन्फिडेंस और मेंटल हेल्थ को अफेक्ट करती है.
2. स्ट्रेस और एंग्जाइटी का माहौल
लगातार झगड़ों से घर का माहौल टेंस हो जाता है. बच्चे इस स्ट्रेश को महसूस करते हैं, जिससे उनमें एंग्जाइटी, डर और बेचैनी बढ़ती है. छोटे बच्चे तो इसे समझ भी नहीं पाते, लेकिन इसका असर उनकी नींद, पढ़ाई और बिहेवियर पर पड़ता है.
3. माता-पिता के बीच साइड लेने का प्रेशर
कई बार झगड़ों में बच्चे अनजाने में माता-पिता के बीच पक्ष चुनने के लिए मजबूर हो जाते हैं. ये स्थिति उन्हें मानसिक रूप से डिवाइड करती है, क्योंकि वे दोनों से प्यार करते हैं. इससे उनमें गिल्ट और कंफ्यूजन की स्थिति पैदा हो सकती है.
4. नेगेटिव बिहेवियर
बच्चे माता-पिता के बिहेवयर को देखकर सीखते हैं. अगर वो बार-बार झगड़े, चीखना-चिल्लाना या अपमानजनक भाषा देखते हैं, तो वो इसे नॉर्मल मानने लगते हैं. इससे उनके अपने रिश्तों में भी नेगेटिविटी आ सकती है, जैसे गुस्सा, अग्रेशन या एक दूसरे की मदद न करना.
5. प्यार की कमी
झगड़ों में उलझे माता-पिता अक्सर बच्चों की इमोशनल जरूरतों को नजरअंदाज कर देते हैं. बच्चों को वो प्यार, समय और ध्यान नहीं मिल पाता, जिसकी उन्हें जरूरत होती है. ये कमी उनकी पर्सनालिटी और सेल्फ रिस्पेक्ट को अफेक्ट करती है.