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स्क्रीन टाइम नहीं! बच्चों को कमजोर बना रही हैं ये 3 छुपी हुई गलियां, संभल जाएं पेरेंट्स

Parenting Tips: आज के समय में बच्चों को एक अच्छी परवरिश देना काफी मुश्किल हो गया है. जाने अनजाने में हम कई ऐसी चीजें कर देते हैं, जो हमारे बच्चों के ग्रोथ पर बुरा असर डालती है. ऐसे में हम आपको ऐसी चीजों के बारे में बताएंगे जो बच्चों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है.  

स्क्रीन टाइम नहीं! बच्चों को कमजोर बना रही हैं ये 3 छुपी हुई गलियां, संभल जाएं पेरेंट्स
Reetika Singh|Updated: Jul 10, 2025, 08:19 AM IST
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Dangers for Kids: आज के समय में छोटे बच्चों को फोन पकड़ा दिया जाता है, जिसके कारण बच्चे बहुत छोटी उम्र से ही फोन से एडिक्टेड हो जाते हैं. ऐसे में पेरेंट्स हमेशा बच्चों के बढ़ते स्क्रीन टाइम को लेकर परेशान रहते हैं. लेकिन क्या आपको पता है, कि बच्चों के लिए स्क्रीन से भी ज्यादा खतरनाक कुछ चीजें होती हैं, जो उनके मेंटल और फीजिकल हेल्थ पर बुरा असर डाल सकीत हैं. इस खबर में हम आपको ऐसी चीजों के बारे में बताएंगे, जो बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. 

 

नेगेटिव माहौल और झगड़े
अगर घर का नेगेटिव माहौल है और हर वक्त झगड़े होते रहते हैं, तो यह बच्चों के मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डालती है. बच्चों के लिए घर का माहौल अच्छा होना बेहद जरूरी है. घर में बार-बार झगड़े, चिल्लाना या नेगेटिव माहौल रहता है, तो यह बच्चों के ग्रोथ पर गहर असर डाल सकती है. ऐसे में धीरे-धीरे करके बच्चे अपने ही घर में सेफ फील नहीं करते हैं. यह उनके कॉन्फिडेंस को कमजोर कर देती है और वह चुपचाप या चिड़चिड़े हो जाते हैं. 

 

इमोशनल सपोर्ट
यह पेरेंट्स समझ नहीं पाते, लेकिन बच्चों को फिजिकल सपोर्ट के साथ-साथ इमोशनल सपोर्ट की भी जरूरत होती है. आमतौर पर ऐसा होता है कि पेरेंट्स बच्चों की सारी जरूरतों को पूरा तो करते हैं, लेकिन उन्हें इमोशनल सपोर्ट नहीं दे पाते, उनकी फीलिंग्स को इग्नोर करते हैं. ऐसा करने से उनके अंदर कॉन्फिडेंट की कमी हो जाती है. वे खुद को अकेला महसूस करने लगते है. ऐसे बच्चे बढ़े होकर इमोशनली कमजोरी हो जाते हैं और अपने दिल की बातें शेयर नहीं कर पाते.

 

दूसरे बच्चों से तुलना करना
ऐसा ज्यादातर भारतीय माता-पिता के साथ देखा जाता है, कि वह अपने बच्चों की तुलना शर्मा जी या मिश्रा जी के बच्चों से करना बेहद पसंद करते हैं. बच्चों की तुलना दूसरों से करना भी बहुत गलत आदत है. हर बच्चा अपने में खास होता है और उनकी अपनी कमजोरियां होती है. अपने बच्चों की खासियत और कमजोरियों को समझना आपका काम है. तुलना करने से अच्छा है कि आप उनकी कमजोरियों पर उनके साथ मिलकर काम करें.

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