Parenting Tips: हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे संस्कारी बनें, हर बात मानें और जिंदगी में कामयाब हों. बच्चों को सही राह पर लाने के लिए डांटना या थोड़ा-बहुत गुस्सा करना नॉर्मल है. लेकिन कई बार गुस्से में हम ऐसी बातें बोल जाते हैं, जिनका बच्चों के कोमल मन पर गहरा और नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है. ये बातें उन्हें अंदर से तोड़ सकती हैं, उनका कॉन्फिडेंस लो हो सकता है और आपके रिश्ते में भी कड़वाहट घोल सकती हैं. यहां 5 ऐसी बातें बताई गई हैं, जिन्हें आपको अपने बच्चों को गुस्से में भी कभी नहीं बोलनी चाहिए.
1. "काश तुम पैदा ही न हुए होते" या "तुम मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती हो"
ये अल्फाज बच्चे के वजूद पर ही सवाल उठा देता है. ऐसे शब्द सुनकर बच्चा खुद को अनवानटेड और बोझ समझने लगता है. उन्हें लगता है कि वो अपने माता-पिता के लिए खुशी नहीं, बल्कि परेशानी का सबब हैं. ये उनके सेल्फ रिस्पेक्ट को बुरी तरह अफेक्ट करता है और उनमें हीन भावना पैदा कर सकता है.
2. "तुम्हारे भाई/बहन को देखो, तुम क्यों नहीं बनते उसके जैसे?"
बच्चों की तुलना कभी भी दूसरों से नहीं करनी चाहिए, खासकर उनके भाई-बहनों से. हर बच्चा यूनिक होता है और उसकी अपनी अलग क्षमताएं होती हैं. तुलना करने से बच्चे में जलन, राइवलरी और इनसिक्योरिटी की भावना पैदा होती है. उन्हें लगता है कि वो कभी भी माता-पिता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सकते.
3. "तुम तो किसी काम के नहीं" या "तुमसे कुछ नहीं होगा"
ऐसे नकारात्मक शब्द बच्चे के आत्मविश्वास को चकनाचूर कर देते हैं। जब आप उनसे कहते हैं कि वे किसी काम के नहीं हैं, तो वे सचमुच ऐसा ही मानने लगते हैं। यह उनके मन में असफलता का डर पैदा करता है और उन्हें कुछ नया सीखने या प्रयास करने से रोकता है।
4. "अगर तुमने ऐसा किया तो मैं तुमसे बात नहीं करूंगा/करूंगी" या "मैं तुम्हें प्यार नहीं करूंगा/करूंगी"
प्यार को शर्त के साथ जोड़ना बच्चे को इमोशनल तौर पर इनसिक्योर महसूस कराता है. उन्हें लगता है कि उनका प्यार उनके बिहेवियर पर डिपेंड करता है, न कि उनके होने पर. ये उन्हें इमोशनल ब्लैकमेल की तरह महसूस हो सकता है और वो आपसे खुलकर बात करने से डरने लगते हैं.
5. "तुम बेवकूफ हो" या "तुम्हारी अक्ल घास चरने गई है"
बच्चों को अपशब्द कहना या उनकी अक्ल पर सवाल उठाना उन्हें शर्मिंदा महसूस कराता है. ऐसे शब्द बच्चों को लगता है कि वो सचमुच बेवकूफ हैं और वे अपनी क्षमताओं पर शक करने लगते हैं. ये उनकी सीखने के प्रॉसेस में भी रुकावट पैदा कर सकता है.