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टीनएज में पहुंच चुका है बच्चा, बॉन्डिंग को बढ़ाने के लिए करें अपने व्यवहार में करें ये बदलाव

How To Befriend My Teenage Child: एक उम्र के बाद बच्चे को मां-बाप से ज्यादा अपने दोस्तों पर विश्वास होता है. इसलिए अपने बच्चे के साथ रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए वक्त रहते पैरेंट्स को अपने व्यवहार में कुछ जरूरी बदलावों कर लेना चाहिए.

 टीनएज में पहुंच चुका है बच्चा, बॉन्डिंग को बढ़ाने के लिए करें अपने व्यवहार में करें ये बदलाव
Sharda singh|Updated: May 26, 2025, 11:53 PM IST
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किशोरावस्था (Teenage) वो उम्र होती है जब बच्चे तेजी से बदलावों से गुजरते हैं. शारीरिक बदलावों के साथ-साथ उनकी रुचियां, सोच और व्यक्तित्व भी निखरने लगता है. भावनात्मक रूप से भी वह चीजों को समझने और चाहने लगते हैं. साथ ही इस दौर में अक्सर माता-पिता और बच्चों के बीच टकराव भी पैदा होता है, और इसी दौरान बच्चों को माता-पिता के साथ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. लेकिन यह साथ एक माता-पिता के रूप में अपने बच्चे को दे पाना मुमकिन नहीं होता है. इसलिए हर पेरेंट्स को थोड़ा कूल बनना जरूरी होता है ताकि बच्चे से दोस्ती हो सके. ऐसा करना क्यों जरूरी है यहां आप इस लेख में जान सकते हैं.

आत्मविश्वास बढ़ाता है

जब माता-पिता अपने बच्चों की पसंद और रुचियों को स्वीकारते हैं और उनको सपोर्ट करते हैं, तो इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है. नया करने की कोशिश करने और अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत मिलती है.

खुलकर बात करना

टीनएज में बच्चों के मन में कई सवाल उठते हैं. ऐसे में अगर माता-पिता सख्त या रूखे रवैया अपनाते हैं, तो बच्चे खुलकर बात नहीं कर पाएंगे. इसलिए बच्चों के साथ रिश्ता को गहरा और मजबूत बनाने के लिए माता-पिता थोड़ा कूल होना चाहिए. 

डांटे नहीं परेशानियों को समझें

उम्र बढ़ने के साथ बच्चों को उलझन, तनाव और अवसाद जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. ऐसे में माता-पिता का साथ और सलाह बच्चों को सही दिशा देती है. ऐसे में जब आप बच्चों को परेशानियों को शेयर करने के लिए कंफर्ट देंगे तो बेहतर तरीके से कठिन समय का सामना कर पाएंगे. 

अच्छे फैसले लेने की सीख

माता-पिता को हमेशा आदेश देने की बजाय अपने बच्चों को सही और गलत में फर्क समझाना चाहिए. साथ ही उन्हें परिस्थिति के अनुसार फैसले लेने की आजादी देनी चाहिए. माता-पिता यह समझते हैं कि गलतियों से सीखना भी जरूरी है.

इन बातों का ध्यान रखना भी जरूरी

बच्चों को आजादी देने का मतलब उन्हें उनकी मनमानी करने की छूट देना नहीं है. माता-पिता को बच्चे पर निगरानी रखने के साथ रिश्ते में जरूरी सीमाएं बनाए रखना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही बच्चे को इमोशनली कंफर्टेबल महसूस करना भी जरूरी है.

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