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सूरज की रोशनी बीमारियों के लिए 'रेड सिग्नल', जानिए कैसे धूप बन जाती है इम्यूनिटी बूस्टर

दिन की रोशनी हमारे लिए कितनी अहम है शायद आपको इस बात का अंदाजा नहीं होगा, लेकिन इसके फायदे बेशुमार है. इससे इंफेक्शंस से लड़ने में मदद मिलती है.

सूरज की रोशनी बीमारियों के लिए 'रेड सिग्नल', जानिए कैसे धूप बन जाती है इम्यूनिटी बूस्टर
Shariqul Hoda|Updated: May 25, 2025, 12:14 PM IST
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Daylight: रिसर्चर्स की एक टीम ने पता लगाया है कि दिन की रोशनी संक्रमणों से लड़ने वाली इम्यूनिटी को कैसे बढ़ा सकता है. वाइपापा टौमाता राऊ (Waipapa Taumata Rau), यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड (University of Auckland) के साइंटिस्ट की लीडरशिप में किए गए इस अध्ययन के मुताबिक, ये खोज न्यूट्रोफिल (Neutrophils) में सर्कैडियन घड़ी (Circadian clock) को टारगेट करने वाली दवाओं के विकास का रास्ता साफ करती है ताकि इंफेक्शन से लड़ने की उनकी क्षमता को बढ़ाया जा सके.

दिन की रोशनी को लेकर रिसर्च
टीम ने हमारे शरीर में सबसे भरपूर मात्रा में पाई जाने वाले इम्यून सेल्स पर फोकस किया, जिन्हें 'न्यूट्रोफिल' कहा जाता है, जो एक तरह के व्हाइट ब्लड सेल्स हैं. ये कोशिकाएं तेजी से संक्रमण वाली जगह पर पहुंचती हैं और हमलावर बैक्टीरिया को मारती हैं. रिसर्चर्स ने मॉडल जीव के रूप में जेब्राफिश, एक छोटी ताजे पानी की मछली का इस्तेमाल किया, क्योंकि इसका जेनेटिक मेकअप हमारे जैसा ही है और इन्हें पारदर्शी शरीर के साथ पाला जा सकता है, जिससे रियल टाइम में बायोलॉजिकल प्रॉसेस का ऑब्जर्व करना आसान हो जाता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
मॉलीक्यूलर मेडिसिन और पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टोफर (Christopher Hall) हॉल कहते हैं, "पहले की स्टडीज में, हमने देखा था कि इम्यून रिस्पॉन्सेज सुबह, मछली के शुरुआती एक्टिव फेज के दौरान पीक पर थीं," हॉल ने आगे कहा, "हमें लगता है कि ये एक इवॉल्यूशनरी रिस्पॉन्स को रिप्रजेंट करता है, जिससे दिन के वक्त मेजबान ज्यादा एक्टिव होता है और इसलिए बैक्टीरियल इंफेक्शन का सामना करने की ज्यादा संभावना होती है."

सर्कैडियन क्लॉक का रोल
हालांकि, साइंटिस्ट्स ये जानना चाहते थे कि इम्यून रिस्पॉन्स दिन की रोशनी के साथ कैसे सिंक्रनाइज हो रही थी. साइंस इम्यूनोलॉजी (Science Immunology) में छपी इस नई स्टडी में, न्यूट्रोफिल में एक सर्कैडियन क्लॉक पाई गई जो उन्हें दिन के समय के बारे में सचेत करती थी, और बैक्टीरिया को मारने की उनकी क्षमता को बढ़ाती थी.

हमारे ज्यादातर सेल्स में सर्कैडियन घड़ियां होती हैं जो उन्हें बाहर की दुनिया में दिन का वक्त बताती हैं, ताकि शरीर की गतिविधियों को रेगुलेट किया जा सके. इन सर्कैडियन क्लॉक को रीसेट करने पर सूरज की रोशनी का सबसे बड़ा असर पड़ता है.

हॉल ने कहा, "ये देखते हुए कि न्यूट्रोफिल सूजन वाली जगह पर जाने वाली पहले इम्यून सेल्स हैं, हमारी खोज का कई सूजन से जुड़ी बीमारियों में मेडिकल बेनेफिच के लिए बहुत ब्रॉड इम्पलिकेशन है." मौजूदा रिसर्च अब उन खास मैकेनिज्म को समझने पर फोक्स्ड है जिनके द्वारा रोशनी न्यूट्रोफिल सर्कैडियन क्लॉक को अफेक्ट करता है.

(इनपुट-आईएएनएस)

(Disclaimer:प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)

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