इस साल भारत में गर्मी का प्रकोप और भीषण होने की संभावना जताई जा रही है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर-पश्चिम भारत में गर्मी के दिनों की संख्या दोगुनी होने का अनुमान जताया है. आमतौर पर इस क्षेत्र में एक सीजन में 5 से 6 दिन हीटवेव रिकॉर्ड की जाती है, लेकिन इस साल यह संख्या बढ़कर 10 से 12 दिन तक हो सकती है.
आईएमडी के अनुसार, इस बार तापमान सामान्य से अधिक रहेगा, जिससे लू (हीटवेव) का असर ज्यादा दिनों तक महसूस किया जाएगा. मौसम विभाग ने लोगों को गर्मी से बचाव के उपाय अपनाने और सतर्क रहने की सलाह दी है.
क्या होता है हीटवेव?
हीटवेव एक ऐसी स्थिति होती है, जब किसी क्षेत्र का तापमान नॉर्मल से काफी ज्यादा हो जाता है. यह स्थिति कई दिनों तक बनी रह सकती है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हीटवेव का तापमान अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होता है. उदाहरण के लिए- मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे जयादा हो जाए तो हीटवेव मानी जाती है. वहीं, पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान होने पर इसे हीटवेव घोषित किया जाता है. जबकि तटीय इलाकों में यह सीमा 37 डिग्री सेल्सियस होती है.
आइए जानें
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किन फैक्टर्स से बढ़ता है हीटवेव का असर?
हीटवेव का असर कई क्लाइमेट और जॉग्रफिकल फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जैसे-
* ह्यूमिडिटी: अधिक नमी वाले क्षेत्रों में गर्मी ज्यादा असहनीय लगती है.
* तेज हवा की गति: गर्म हवा तेज चलने से लू का प्रभाव बढ़ जाता है.
* हीटवेव की अवधि: जब हीटवेव कई दिनों तक लगातार बनी रहती है, तो इसका असर अधिक घातक हो जाता है.