What is Bipolar Disorder: बाइपोलर डिसऑर्डर एक मेंटल डिजीज है, जिसमें इंसान का मूड, एनर्जी लेवल और बिहेवियर अचानक बदल जाता है. इसमें मरीज कभी ओवर एक्साइटेड, खुश, या एनर्जेटिक फील करता है (जिसे मैनिया कहते हैं), तो कभी अचानक बेहद उदास, निराश, या सुस्त हो जाता है (जिसे डिप्रेशन कहा जाता है). ये उतार-चढ़ाव कई दिनों या हफ्तों तक भी रह सकते हैं और पेशेंट की रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा असर डालते हैं.
बाइपोलर डिसऑर्डर क्यों होता है?
बाइपोलर डिसऑर्डर का सटीक कारण अब तक पूरी तरह क्लियर नहीं है, लेकिन रिसर्च से कुछ संभावित कारण सामने आए हैं, जैसे:-
1. जेनेटिक फैक्टर: अगर आपकी फैमिली में किसी को बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) है, तो दूसरे मेंबर्स में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है.
2. ब्रेन केमिस्ट्री में इम्बैलेंस: न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन, डोपामिन) के इमबैलेंस से मेंटल कंडीशन अफेक्ट हो सकती है.
3. मेंटल या इमोशनल ट्रॉमा: बचपन में हुई फिजिकल, मेंटल या यौन शोषण की घटनाएं इस बीमारी को ट्रिगर कर सकती हैं.
4. नशे की लत: शराब या ड्रग्स का अधिक सेवन भी बाइपोलर डिसऑर्डर के जोखिम को बढ़ा सकता है.
5. लाइफस्टाइल और स्ट्रेस: हद से ज्यादा मेंटल स्ट्रेस (Stress), नींद की कमी (Insomnia) या इरेगुलर लाइफस्टाइल इसके लक्षणों को बढ़ा सकती है.
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बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं?
बाइपोलर डिसऑर्डर में आमतौर पर 2 तरह की स्टेजेज होते हैं - मैनिया (Mania) और डिप्रेशन (Depression). इसके बीच में पेशेंट नॉर्मल भी हो सकता है.
मैनिक (एक्ससाइटेड) फेज के लक्षण
1. हद से ज्यादा खुशी, एनर्जी या कॉन्फिडेंस
2. नींद की जरूरत कम होना
3. बहुत तेज बोलना या विचारों का तेज आना
4. रिस्क भरे काम करना (जैसे बेतुका खर्च, बिना सोचे सेक्स, तेज गाड़ी चलाना)
5. चिड़चिड़ापन या गुस्सा
डिप्रेसिव फेज के लक्षण
1. निराशा, खालीपन या उदासी महसूस करना
2. भूख और नींद में बदलाव
3. थकावट या सुस्ती
4. खुदकुशी का ख्याल या कोशिश
5. किसी भी चीज में दिलचस्पी का खत्म हो जाना
कुछ मरीजों में मिक्स्ड एपिसोड भी होता है, जहां मैनिया (Mania) और डिप्रेशन (Depression) के लक्षण एक साथ होते हैं.
बाइपोलर डिसऑर्डर का डायग्नोस कैसे होता है?
इसका डायग्नोसिस फिजिकल नहीं, बल्कि मेंटल और बिहेवियरल टेस्ट से होता है, जैसे-
1. साइकोलॉजिकल असेसमेंट: साइकोलॉजिस्ट अपने पेशेंट की सोच, बिहेवयर और मूड को एनालाइज करते हैं.
2. पर्सनल और फैमिली हिस्ट्री: मरीज और फैमिली की मेंटल हेल्थ हिस्ट्री की जांच की जाती है.
3. मूड चार्टिंग: मरीज को कुछ वक्त तक अपने मूड के बदलाव को रिकॉर्ड करने के लिए कहा जाता है.
4. ब्लड टेस्ट और स्कैन: दूसरी मेंटल डिजीज या हार्मोनल इम्बैलेंस को बाहर करने के लिए ये जरूरी है.
बाइपोलर डिसऑर्डर को अक्सर टाइप 1 और टाइप 2 में बांटा जाता है. टाइप 1 में मैनिया बहुत तीव्र होता है, जबकि टाइप 2 में डिप्रेशन अहम होता है और मैनिया हल्का (हाइपोमैनिया) होता है.
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प्रिवेंशन कैसे किया जा सकता है?
हालांकि इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन लाइफस्टाइल और सेल्फ-अवेयरनेस से इसकी सीरियसनेस को कम किया जा सकता है. आइए जानते हैं कि आपको क्या करना है
1. स्लीप का रेगुलर शेड्यूल बनाए रखें
2. किसी भी तरह के नशे से दूर रहें
3. स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक अपनाएं, जैसे योग, मेडिटेशन या थेरेपी
4. मिजाज में किसी भी बदलाव को नजरअंदाज न करें
5. वक्त रहते मेडिकल हेल्प लें
बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज क्या है?
ये एक लाइफलॉन्ग कंडीशन है, लेकिन इलाज से पेशेंट काफी हद तक नॉर्मल लाइफ जी सकता है.
1. दवाइयां
मूड स्टेबलाइजर्स, एंटीडिप्रेसेंट्स, एंटीसाइकोटिक ड्रग्स खाने की सलाह दी जाती है.
2. साइकोथेरेपी
CBT (Cognitive Behavioral Therapy)- ये पेशेंट सोच और बिहेवियर सुधारने में मदद करती है
फैमिली थेरेपी – परिवार को सपोर्ट देने के लिए
इंटर पर्सनल थेरेपी – रिश्तों और इमोशन को मैनेज करना सिखाती है
3. लाइफस्टाइल मैनेजमेंट
रेगुलर एक्सरसाइज, वक्त पर दवा और थैरेपी लेना, ट्रिगरिंग फैक्टर्स से बचाव करें
समझदारी से ही जिंदगी होगी बेहतर
बाइपोलर डिसऑर्डर एक कॉम्पलिकेटेड लेकिन मैनेजेबल मेंटल कंडीशन है. सही जानकारी, वक्त पर इलाज और सोशल सपोर्ट से इससे अफेक्टेड पेशेंट एक बैलेंस्ड और सक्सेसफुल लाइफ जी सकता है. जरूरी है कि हम मानसिक बीमारियों को टैबू न मानें, बल्कि इनको लेकर समझदारी और हमदर्दी रखें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.