गर्मियों में खाने की थाली बिना ठंडी-ठंडी दही के अधूरी लगती है. दही न केवल पेट को ठंडक देती है, बल्कि स्वाद में भी चार चांद लगा देती है. लेकिन एक बात अक्सर हर किसी के मन में आती है कि दुकान से खरीदी गई दही जितनी गाढ़ी होती है, वैसी दही घर पर क्यों नहीं बनती? क्या इसमें कोई खास राज छुपा है? चलिए आपको बताते हैं कि इसके पीछे की सच्चाई क्या है.
दरअसल, बाजार में बिकने वाली दही कोई जादू से नहीं बनती, बल्कि कुछ आसान लेकिन असरदार तरीकों से तैयार की जाती है, जो हम अक्सर घर पर नजरअंदाज कर देते हैं.
1. फुल-फैट दूध का इस्तेमाल
दुकानों में बनने वाली दही के लिए ज्यादातर कंपनियां फुल-फैट या होल मिल्क का इस्तेमाल करती हैं, जिसमें मलाई की मात्रा अधिक होती है. इससे दही नेचुरल रूप से गाढ़ी बनती है. घरों में लोग अकसर टोंड या लो-फैट दूध का उपयोग करते हैं, जिससे दही पतली रह जाती है.
2. मिल्क सॉलिड्स
अगर आपने कभी दही के पैक पर ध्यान दिया हो, तो उसमें 'मिल्क सॉलिड्स' जरूर लिखा होता है. ये दूध के वह तत्व होते हैं जो पानी निकालने के बाद बचते हैं. ये दही को गाढ़ा और क्रीमी बनाने में मदद करते हैं.
3. तापमान और सेटिंग का फर्क
दुकानों में दही बनाने की प्रक्रिया टेंपरेचर-कंट्रोल वातावरण में होती है, जिससे दही एक जैसी गाढ़ी बनती है. घर पर दही ज्यादातर खुले बर्तनों में और बदलते तापमान में जमाई जाती है, जिससे उसका टेक्सचर प्रभावित होता है.
4. एडिटिव्स और थिकनर्स का उपयोग
कुछ पैकेज्ड दही में गाढ़ापन बनाए रखने के लिए हल्के थिकनर्स और एडिटिव्स भी डाले जाते हैं. हालांकि ये मात्रा में कम होते हैं, लेकिन टेक्सचर पर असर डालते हैं.
कौन सी दही है बेहतर?
पोषण विशेषज्ञ अमिता गदरे के अनुसार, दोनों के अपने फायदे हैं. घर की दही ताजा होती है, उसमें जिंदा प्रोबायोटिक्स होते हैं और कोई प्रिजर्वेटिव नहीं होता. वहीं बाजार की दही सुविधाजनक होती है और कई ऑप्शन के साथ आती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.