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40-50 की उम्र के बाद क्यों कमजोर होता है महिलाओं का शरीर? जानिए एक्सरसाइज कैसे दे सकता है राहत

एक उम्र पार करने के बाद महिलाओं का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है, लेकिन क्या आप इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण जानते हैं?

40-50 की उम्र के बाद क्यों कमजोर होता है महिलाओं का शरीर? जानिए एक्सरसाइज कैसे दे सकता है राहत
Shariqul Hoda|Updated: Jul 11, 2025, 08:45 AM IST
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Women's Health: हर महिला को बढ़ती उम्र में एक्सरसाइज करनी चाहिए, क्योंकि ये उनकी ओवरऑल हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है. जो महिलाएं 40–50 की उम्र के बाद वर्कआउट नहीं करतीं, उनकी ताकत कम हो जाती है और ट्राइसेप्स (खासकर पीछे का हिस्सा) ढीला पड़ने लगता है. क्या वहां माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या कम हो जाती है, या फिर कोई और वजह है?

मसल एक्टिविटी से माइटोकॉन्ड्रिया का रिश्ता

न्यूट्रीशनिस्ट निखिल वत्स (Nikhil Vats) के मुताबिक शरीर के हिस्से का हम ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, वहां सेल्स को ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है. इसको ऐसे समझें कि एनर्जी = एटीपी, और एटीपी की फैक्ट्री है माइटोकॉन्ड्रिया. इसलिए जहां मसल्स एक्टिव होते हैं, वहां माइटोकॉन्ड्रिया के नंबर और क्वालिटी दोनों ज्यादा होती हैं.

 

इनएक्टिव मसल्स और माइटोकॉन्ड्रिया डीजेनरेशन का रिश्ता

अगर कोई महिला कई सालों तक वर्कआउट नहीं करती, खासकर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग नहीं करती, तो उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:-

-मांसपेशियों का इस्तेमाल नहीं होता  जिससे एनर्जी की डिमांड कम हो जाती है.

-शरीर सोचता है कि "यहां इतने माइटोकॉन्ड्रिया की क्या ज़रूरत है?"

-इसका नतीजा ये होता है कि उस हिस्से में माइटोकॉन्ड्रिया का साइज, नंबर और एफिशिएंसी कम होने लगती है.

ट्राइसेप्स के फैट और ढीलेपन का माइटोकॉन्ड्रिया से रिश्ता

-ट्राइसेप्स वाला हिस्सा (खासकर पीछे का पार्ट) रोजमर्रा की जिंदगी में नेचुरली कम एक्टिव रहता है. वर्कआउट न करने पर वह और भी इनएक्टिव हो जाता है.
-माइटोकॉन्ड्रिया कम हो जाते हैं जिससे फैट बर्निंग धीमी हो जाती है और वहां फैट जमा होने लगता है.
-इससे मांसपेशियों का आकार घटता  और त्वचा को मिलने वाला सहारा कम हो जाता है. ऐसे में त्वचा ढीली पड़ जाती है (झूलने लगती है).
- ऐसे में ताकत भी कम होती है, क्योंकि माइटोकॉन्ड्रिया कम होने का मतलब है एनर्जी प्रोडक्शन में कमी.

उम्र का इसमें क्या रोल होता है?

40–50 की उम्र के बाद महिलाओं के हार्मोन (खासकर एस्ट्रोजेन) घटने लगते हैं. ये एस्ट्रोजेन माइटोकॉन्ड्रिया को कंट्रोल करने में अहम रोल अदा करते हैं. इसलिए ये कंडीशन देखने को मिलती है:

-उम्र बढ़ती है.
-हार्मोन घटते हैं.
-माइटोकॉन्ड्रियल हेल्थ कमजोर होता है.
-मांसपेशियों की कमी बढ़ती है और शरीर में चर्बी बढ़ती है.
-खासकर उन हिस्सों में जहां हलचल नहीं होती (जैसे अंडरआर्म्स, ट्राइसेप्स, जांघ वगैरह).

सॉल्यूशन क्या है?

1. स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शुरू करें (खासकर खींचने और पुश करने वाली एक्सरसाइज).

2. प्रोटीन और न्यूट्रीएंट्स से भरपूर डाइट लें जो माइटोकॉन्ड्रिया को सहारा दें (जैसे बी-विटामिंस, CoQ10, एल-कार्निटीन वगैरह).

3. खास हिस्सों को एक्टिव करें , जैस ट्राइसेप्स पर फोकस होने वाले एक्सरसाइज करें और पूरे शरीर की मूवमेंट को शामिल करें.

4. खाली पेट वॉकिंग करें और हल्का कार्डियो करें ताकि फैट बर्निंग जोन एक्टिव हो सके.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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