Anxiety During Monsoon: बरसात का मौसम जहां एक ओर राहत और ठंडक लेकर आता है, वहीं कई लोगों के लिए ये मेंटल हेल्थ के लिए चैलेंज की वजह भी बन जाता है. खासतौर पर एंग्जायटी यानी चिंता की समस्या इस सीजन में बढ़ जाती है. इसका रिश्ता सिर्फ मौसम से नहीं, बल्कि हमारे ब्रेन पर पड़ने वाले कई बायोलोजिकल और साइकोलॉजिकल इफेक्ट से होता है.
मानसून में क्यों बढ़ती है एंग्जायटी?
1. धूप की कमी
मानसून में लगातार बादल छाए रहने और सूरज की रोशनी न मिलने से शरीर में सेरोटोनिन का लेवल घटता है. ये एक 'हैप्पी हार्मोन' है जो मूड को स्टेबल रखने में मदद करता है. इसकी कमी से उदासी, चिड़चिड़ापन और एंग्जायटी बढ़ सकती है.
2. घर के अंदर रहना
बारिश की वजह से ज्यादातर लोग घर के अंदर बंद हो जाते हैं. इससे सोशल गैदरिंग कम हो जाता है और अकेलापन बढ़ता है, जो एंग्जायटी को ट्रिगर कर सकता है.
3. ह्यूमिडिटी और थकान
उमस भरे मौसम में नींद अच्छी नहीं होती, थकान महसूस होती है, जिससे मेंटल फटीग और एंग्जायटी का लेवल भी बढ़ सकता है.
4. एनवायरनमेंट का असर
लगातार बादल का गरजना, बिजली और तेज बारिश जैसी आवाजें कुछ लोगों के लिए स्ट्रेस पैदा करने वाली होती हैं, जिससे एंग्जायटी की आशंका बढ़ जाती है.
एंग्जायटी से बचने के उपाय
1. कुदरती रोशनी लें
जब भी मौसम साफ हो, बाहर निकलकर धूप जरूर लें. इससे विटामिन डी मिलेगा और मूड बेहतर रहेगा.
2. रूटीन बनाएं
एक प्रोपर रूटीन मेंटल बैलेंस को बनाए रखने में मदद करती है. नींद, खाने और वर्कआउट का टाइम फिक्स रखें.
3. फिजिकल एक्टिविटी
योग, मेडिटेशन या घर के अंदर हल्की एक्सरसाइज करें. इससे स्ट्रेस हार्मोन (कॉर्टिसोल) कम होगा.
4. सोशल इंटरैक्शन बढ़ाएं
दोस्तों या परिवार से वीडियो कॉल या चैट के जरिए जुड़े रहें.
5. कैफीन और शुगर से बचें
ज्यादा चाय, कॉफी या मीठी चीजें एंग्जायटी को बढ़ा सकती हैं.
6. म्यूजिक या क्रिएटिव एक्टिविटी
मन को शांत रखने के लिए म्यूजिक सुनें या पेंटिंग, क्रिएटिव राइटिंग जैसी एक्टिविटी में वक्त बिताएं.
7. साइकोलॉजिस्ट से मिलें
अगर एंग्जायटी ज्यादा बढ़ जाए और रोजमर्रा की ज़िंदगी को अफेक्ट करने लगे, तो मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें. मानसून एक खूबसूरत मौसम है, इसे एंजॉय करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत रहना जरूरी है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.