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आपका लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं? ये एक छोटा सा ब्लड टेस्ट खोल देगा राज़

हमारा लिवर कैसे काम कर रहा है, इसकी सटीक जानकारी का पता लगाने के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट बेहद जरूरी है, क्योंकि सिर्फ लक्षणों से सही अंदाजा लाना मुश्किल हो सकता है.

आपका लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं? ये एक छोटा सा ब्लड टेस्ट खोल देगा राज़
Shariqul Hoda|Updated: Jun 15, 2025, 08:59 AM IST
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Liver Function Test: हमारी बॉडी हेल्दी रहे और ये सही तरीके से काम करती रहे इसके लिए लिए लिवर का प्रोपरली वर्क करना जरूरी है. इसमें जरा सी खराबी बड़ी परेशानी की वजह बन सकती है. अगर आपके पेट के दाहिनी तरफ दर्द करे या लिवर में परेशानी का शक हो जाए, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत एक खास टेस्ट करना चाहिए, जिसे लिवर फंक्शन टेस्ट कहा जाता है. आइए इसके बारे में डिटेल से जानने की कोशिश करते हैं. 

लिवर फंक्शन टेस्ट क्या है?

लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) एक ब्लड टेस्ट है, जो लिवर की हेल्थ और एफिशिएंसी को एनालाइज करने के लिए किया जाता है. ये टेस्ट लिवर से जुड़ी अलग-अलग बीमारियों, जैसे हेपेटाइटिस, सिरोसिस, फैटी लिवर, या दवाओं के साइड इफेक्ट्स का पता लगाने में मदद करता है. आइए जानते हैं कि इस टेस्ट से किन चीजों का पता लगता है, इसे कैसे किया जाता है, और इसके क्या फायदे हैं. 

लिवर फंक्शन टेस्ट से किन बीमारियों का पता लगता है?

लिवर फंक्शन टेस्ट में कई पैरामीटर्स की जांच की जाती है, जो लिवर के काम करने के तरीके और सेहत का हाल बताते हैं.

एंजाइम्स

ALT (एलानिन एमिनोट्रांसफेरेस) और AST (एस्पार्टेट एमिनोट्रांसफेरेस): ये लिवर सेल्स के डैमेज होने का इशारा देते हैं. ये हाई लेवल हेपेटाइटिस या लिवर इंजरी का संकेत हो सकता है.

ALP (एल्कलाइन फॉस्फेटेज): ये लिवर या बाइल डक्ट में रुकावट का पता लगाता है.

GGT (गामा-ग्लूटामाइल ट्रांसफेरेस): ये शराब के साइड इफेक्ट या बाइल डक्ट की परेशानियों का वॉर्निंग साइन देता है.

बिलीरुबिन: ये रेड ब्लड सेल्स के टूटने से बनता है. इसका हाई लेवल जॉन्डिस, हेपेटाइटिस, या बाइल डक्ट में रुकावट का संकेत देता है.

 

प्रोटीन:
एल्ब्यूमिन: लिवर के जरिए बनाया जाने वाला ये प्रोटीन कम होने पर लिवर की एफिशिएंसी में कमी का संकेत देता है.

टोटल प्रोटीन: इसमें एल्ब्यूमिन और ग्लोब्युलिन शामिल हैं, जो लिवर के ओवरऑल हेल्थ को बताते हैं.

PT/INR (प्रोथ्रोम्बिन टाइम): ये लिवर की ब्लड क्लॉटिंग प्रॉसेस को नापता है. एब्नॉर्मल लेवल वाले लिवर की गंभीर परेशानी को बयां करता है.

लिवर फंक्शन टेस्ट कैसे किया जाता है?

लिवर फंक्शन टेस्ट एक कॉमन ब्लड टेस्ट है

प्रॉसेस: एक छोटी निडिल के जरिए बांह से ब्लड सैंपल लिया जाता है. ये प्रक्रिया कुछ मिनटों में पूरी हो जाती है.

तैयारी: आमतौर पर इस टेस्ट के लिए फास्टिंग की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टर खाली पेट टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं.

एनालिसिस: ब्लड सैंपल को लैब में भेजा जाता है, जहां अलग-अलग पैरामीटर्स पर एनालिसिस किया जाता है. इसका रिजल्ट कुछ घंटों या एक दिन में मिल जाता है.

 

लिवर फंक्शन टेस्ट के फायदे

1. अर्ली डिटेक्शन: ये टेस्ट लिवर की परेशानियों, जैसे हेपेटाइटिस, सिरोसिस, या फैटी लिवर का जल्दी पता लगाने में मदद करता है, जिससे वक्त पर इलाज मुमकिन हो पाता है.

2. बीमारी की निगरानी: ये पहले से मौजूद लिवर डिजीज के प्रोग्रेस या ट्रीटमेंट की इफेक्टिवनेस को मॉनिटर करने में मददगार है.

2. दवाओं के असर को चेक करना: कुछ दवाएं लिवर को अफेक्ट कर सकती हैं. LFT इन साइड इफेक्ट्स का पता लगाता है.

3, दिल और दूसरी बीमारियों का रिस्क को चेक करना: लिवर हेल्थ का हार्ट डिजीज और मेटाबॉलिक प्रॉब्लम्स से गहरा रिश्ता है. ये टेस्ट ओवरऑल हेल्थ कंडीशन को समझने में मदद करता है.

4. सेफ और आसान: ये एक नॉन इंवेसिव और कम रिस्क वाला टेस्ट है, जो रेगुलर हेल्थ चेकअप का हिस्सा हो सकता है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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