दुनिया का सबसे बड़ा फ्री किचन हर रोज इंसानियत की मिसाल पेश करता है, जहां बिना किसी भेदभाव के हर जाति, धर्म और तबके के लोग एक साथ बैठकर गरमा-गर्म भोजन करते हैं. यह जगह न सिर्फ भूख मिटाने का साधन है, बल्कि समानता और सेवा भावना का प्रतीक भी है. यहां आने वाला हर व्यक्ति बिना किसी शुल्क के भरपेट खाना खा सकता है, चाहे वह अमीर हो या गरीब.
अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) न सिर्फ अपनी भव्यता और धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां चलने वाला लंगर दुनिया का सबसे बड़ा फ्री कम्युनिटी किचन भी है. यहां हर दिन 50,000 से 1,00,000 लोगों को गरमा-गरम भोजन परोसा जाता है, जो सेवा और समानता के सिख सिद्धांतों का प्रतीक है.
यहां आने वाले हर व्यक्ति का स्वागत बिना किसी भेदभाव के किया जाता है. धर्म, जाति या सामाजिक स्थिति चाहे जो भी हो, हर कोई इस लंगर में बैठकर भोजन कर सकता है. यह परंपरा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक द्वारा वर्ष 1481 में शुरू की गई थी. हालांकि दुनियाभर के सभी गुरुद्वारों में लंगर की व्यवस्था होती है, लेकिन स्वर्ण मंदिर का लंगर अपने आप में अनोखा है.
24 घंटे चलता है लंगर
स्वर्ण मंदिर का लंगर हफ्ते के सातों दिन, 24 घंटे बिना रुके संचालित होता है. आश्चर्य की बात यह है कि इस विशाल रसोईघर को चलाने के लिए मुख्य रूप से स्वयंसेवक (सेवेदार) जिम्मेदार होते हैं. यहां लगभग 300 स्थायी कर्मचारी हैं, जबकि बाकी लोग स्वयंसेवक के रूप में सेवा देते हैं. यह पूरी व्यवस्था सिख समुदाय और अन्य श्रद्धालुओं से मिले दान पर आधारित है.
खाने में क्या होता है खास?
स्वर्ण मंदिर के लंगर में पूरी तरह शाकाहारी भोजन परोसा जाता है, जिसमें मुख्य रूप से दाल, सब्जी, रोटी और खीर शामिल होते हैं. यहां दो विशाल डाइनिंग हॉल हैं, जहां एक बार में 5000 लोग एक साथ बैठकर भोजन कर सकते हैं. भोजन करने वाले सभी लोग जमीन पर बैठते हैं, जिससे सिख धर्म में समानता के सिद्धांत को प्रकट किया जाता है.
हाई-टेक किचन की खासियत
इस विशाल रसोई में एडवांस मशीनों की मदद से खाना तैयार किया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां एक रोटी बनाने की मशीन लगी है, जिसे एक लेबनान के श्रद्धालु ने दान दिया था. यह मशीन एक घंटे में 25,000 रोटियां बना सकती है. इसके अलावा, आटा गूंथने और छानने के लिए भी बड़े-बड़े उपकरण लगाए गए हैं.
हर दिन कितना खाना बनता है?
रोजाना लंगर में लगभग 5000 किलोग्राम गेहूं, 2000 किलोग्राम दाल, 1400 किलोग्राम चावल, 700 किलोग्राम दूध और 100 गैस सिलेंडर का इस्तेमाल होता है. इतनी बड़ी मात्रा में भोजन तैयार करना आसान काम नहीं है, लेकिन सेवादार इसे पूरी निष्ठा से करते हैं.