अब हम पाकिस्तान बॉर्डर पर भारत की 'वायु गर्जना' का विश्लेषण करेंगे। दुनिया में जब तक सायरन का आविष्कार नहीं हुआ था तब तक युद्ध या खतरे की चेतावनी देने के लिए घंटियां, नगाड़े, तुरही और सींग से बने हॉर्न जैसे सामानों का इस्तेमाल किया जाता था । भारतीय इतिहास पर बनी फिल्मों और सीरियल्स में आपने कई बार देखा होगा कि कैसे युद्ध से पहले ढोल, शंख या नगाड़े का इस्तेमाल किया जाता था ।
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