सवाल ये है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा जैसे इतने बड़े मंगल कार्य के लिए आखिर प्रायश्चित पूजा से ही शुरुआत क्यों हुई है... ऐसी कौन सी भूल हो जाती है कि प्रायश्चित करना पड़े। इससे जुड़ी कई मान्यताएं हैं जो आपको विस्तार से बताते हैं। दरअसल, भगवान की पूजा में वैदिक परंपरा के अनुसार विशेष नियम पद्धतियां हैं। और धार्मिक अनुष्ठान से पहले उनका विधिवत पालन करना अनिवार्य है।
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