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Taal Thok Ke: मुंह पर राम और मन में चुनाव?

Taal Thok Ke: दो चौपाइयां हैं- होइहि सोई जो राम रचि राखा दूसरी है- कर्म प्रधान विश्व रचि राखा . और इसी की अगली पंक्ति है 'जो जस करहि सो तस फल चाखा'.आज यही बहस है कि क्या राम उंगली उठाने का, और उनके मंदिर में बाधा डालने का फल कुछ लोगों को पूरा मिल चुका है या अभी और मिलना बाक़ी है? राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब बस 5 दिन बाक़ी हैं. आज अयोध्या में अनुष्ठान का तीसरा दिन है. रामलला की मूर्ति कल रात ही मंदिर में प्रवेश कर चुकी है. रामलला अपने जन्मस्थान यानी राम मंदिर के गर्भगृह से बाहर हैं. बस थोड़ी दूरी और है. पूरा देश राम के रंग में रंगता जा रहा है. लेकिन इस भीड़ में राम को नकारने वालों, उनके मंदिर पर सवाल उठाने वालों और राम को बांटने वालों की अब भी कमी नहीं है. DMK के उदयनिधि स्टालिन ने नया बयान दिया है. कहा है कि वो उस मंदिर को मंदिर मान ही नहीं सकते जो दूसरे धर्मस्थल को तोड़कर बनाया गया है. राहुल गांधी ने फिर कहा है कि वो राजनीति में धर्म को मिक्स नहीं करते, इसीलिये मंदिर उद्घाटन के विरोध पर कायम हैं. राहुल गांधी के धर्म और राजनीति वाले इस कन्फ्यूज़न को दूर करने के लिये जगदगुरु रामभद्राचार्य का एक नया बयान है. उन्होंने कहा है कि धर्म को राजनीति से अलग नहीं कर सकते. मंदिर के उद्घाटन से ठीक पहले 1990 के मुलायम सिंह के गोलीकांड की याद भी जागी है. उनके भाई शिवपाल यादव ने कहा कि संविधान बचाने के लिये कारसेवकों पर गोली चलाना सही था, यानी मुलायम ने ठीक किया था. और इसके जवाब में साध्वी ऋतंभरा का भी बयान है कि राम की जिसने सेवा की, जिसने रथ खींचा प्रसाद भी उसी को ही मिलेगा. जिन्होंने विरोध किया, गोलियां चलाईँ. उन पर संतों की आह बाक़ी है. तो आज की बहस इसी पर पहले सुनते हैं राम और राम मंदिर पर तकरार में किसने क्या कहा.

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