Taal Thok Ke: जो लोग ममता बनर्जी और बंगाल की राजनीति को जानते हैं, वो सिंगूर और नंदीग्राम का किस्सा भी जानते ही होंगे। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़ ममता के ये वो 2 मूवमेंट थे, जिसके दम पर उन्होंने बंगाल में 34 साल का लेफ्ट का शासन उखाड़ फेंका था और ऐसा फेंका कि आजतक बंगाल में पैर जमाए हुए हैं। लेकिन संदेशखाली से ममता की सिंगूर और नंदीग्राम वाली ज़मीन क्या अब खिसकने जा रही है? यही डिबेट है आज की, कि संदेशखाली का मामला क्या 24 में बंगाल की 42 सीटों पर बीजेपी के लिये बूस्टर का काम करेगा? संदेशखाली में हिन्दू महिलाओं के उत्पीड़न और ज़मीन पर अवैध कब्ज़ों का आरोपी शाहजहां शेख 55 दिन बाद गिरफ्तार हुआ और अब पुलिस की कस्टडी में है। TMC ने उसे पार्टी से निकालने में 55 दिन लिये। लेकिन शाहजहां शेख की हरकतें TMC से छूट नहीं रही हैं, बल्कि चिपक गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आज बंगाल पहुंचते ही आरामबाग की रैली में शाहजहां शेख पर ही ममता सरकार की ख़बर ली। प्रधानमंत्री ने पब्लिक से ही पूछ लिया कि शाहजहां शेख की हरकत, और उसे बचाने की कोशिश पर लोग ममता सरकार को माफ़ करेंगे? क्या मां-बहनों पर चोट का जवाब वोट से नहीं देंगे? प्रधानमंत्री ने संदेशखाली पर मूकदर्शक बने रहने पर INDIA अलायंस को भी लपेटा और उसे गांधी जी के तीन बंदरों जैसा बताया। इसके बाद भ्रष्टाचार और परिवारवाद को लेकर भी ममता और दूसरे विपक्षी नेताओं पर अटैक किये। ममता कह चुकी हैं कि संदेशखाली को सिंगूर और नंदीग्राम से कंपेयर नहीं किया जा सकता, जो ये कर रहे हैं उनकी मंशा कुछ और है। सीधे कहा कि बीजेपी संदेशखाली से वोट तलाश रही है। 2009 के बाद बंगाल में बीजेपी तेज़ी से उठी है। 2014 में 2 सीटों से 2019 में सीधे 18 सीटों पर पहुंच गई थी। हांलाकि 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता फिर सरकार बना ले गईं, लेकिन बीजेपी का वोट और सीटें तब भी बढ़ी थीं। बड़ा सवाल है इस बार क्या होगा? 10 साल में मोदी बंगाल के 32 दौरे कर चुके हैं। हज़ारों करोड़ के प्रोजेक्ट दे चुके हैं, आज भी दिये हैं। और अब तो उनके पास देने को 400 पार के नारे के साथ मोदी गारंटी और संदेशखाली जैसे मुद्दे भी हैं।
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