Middle Class Family: एक लिंक्डइन यूजर हिमांशु कालरा ने अपनी पोस्ट से इन दिनों इंटरनेट पर बहस छेड़ दी है. उन्होंने 1970 और 2025 के इंडियन मिडिल क्लास की जिंदगी की तुलना करते हुए बताया कि कैसे भारत में आर्थिक विकास के साथ-साथ व्यक्तिगत स्थिरता और मानसिक शांति का ह्रास हुआ है. हिमांशु ने लिखा कि 1970 में एक आम मिडिल क्लास शख्स की जिंदगी एक सीधी और सुरक्षित राह पर चलती थी – कॉलेज जाना, डिग्री लेना, एक हुनर में निपुण होना, अच्छी नौकरी पाना, घर खरीदना, शादी करना और 2-3 बच्चों के साथ एक संतुलित पारिवारिक जीवन जीना. उनका कहना था, "एक बार सेट हो गए, तो पूरी जिंदगी सेट हो जाती थी."
लेकिन 2025 की तस्वीर इससे बिलकुल उलट है. आज का युवा कॉलेज में दाखिले से लेकर नौकरी तक की दौड़ में करोड़ों लोगों से प्रतियोगिता करता है. शिक्षा पूरी करते ही लोन का बोझ होता है. एक डिग्री अब पर्याप्त नहीं होती और जो कौशल सीखे वो दो साल में पुराने हो जाते हैं. नौकरी की अनिश्चितता इतनी बढ़ गई है कि हर दो साल में खुद को दोबारा साबित करना पड़ता है.
हिमांशु कहते हैं कि आज शादी और बच्चे होने के बाद भी जिंदगी आसान नहीं होती, क्योंकि पति-पत्नी दोनों को काम करना पड़ता है ताकि घर खर्च चल सके. मानसिक स्वास्थ्य अब एक ऐसी चीज बन चुकी है जिसे खुद से समझना और संभालना पड़ता है. उन्होंने लिखा, “हां, अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है लेकिन इंसान मानसिक रूप से थकता जा रहा है.” उनकी इस पोस्ट पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लोगों की भावनात्मक और विचारशील प्रतिक्रियाएं आईं.
एक यूजर ने लिखा, “सोमवार के लिए ये बहुत ज़्यादा सच है.” किसी ने कहा, “सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन सुकून घट गया है.” कई लोगों ने स्किल्स, इंफ्लेशन और मानसिक तनाव के न खत्म होने वाले चक्र का ज़िक्र किया. कुछ ने यह भी कहा कि पहले एक ही हुनर जीवन भर के लिए काफी होता था, लेकिन आज हर साल कुछ नया सीखना जरूरी है ताकि आप नौकरी में टिके रहें. एक यूजर ने लिखा, “प्रगति ने अब सुरक्षा की परिभाषा ही बदल दी है.”