Bengaluru News: बेंगलुरु से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है. जहा एक उम्मीदवार की 40 लाख रुपये प्रति साल की नौकरी छीन ली. यह घटना अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और हर कोई इस अनोखे कारण पर हैरान है. आइए जानते हैं पूरी कहानी.
यह कहानी एक बेंगलुरु के एक आईटी कंपनी के इंटरव्यू की है. वहां एक पद के लिए प्रोडक्ट मैनेजर की भर्ती हो रही थी. इस पद के लिए कई उम्मीदवार आए थे, जिनमें से एक उम्मीदवार का जवाब इतना अलग था कि उसने अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया. इंटरव्यू में रिक्रूटर ने उम्मीदवार से एक सामान्य सा सवाल पूछा, “बेंगलुरु में साल में कितने दिन किसी को छाता साथ लेकर चलना चाहिए?” यह सवाल ऐसा था जिसे आमतौर पर उम्मीदवार आसानी से जवाब दे सकते थे. लेकिन इस बार उम्मीदवार ने सवाल को बहुत ही गंभीरता से लिया.
बारिश ने कैसे गंवा दी 40 लाख की जॉब
उम्मीदवार ने नोटपैड निकाला और बारिश के रुझान, पिछले सालों का डेटा, मानसून के समय, और बारिश की संभावना के आंकड़ों को विस्तार से समझाने लगा. उसने कहा, “मेरी गणना के अनुसार, 55.7 दिन ऐसे होते हैं जब छाता जरूरी होता है. इसमें 95 प्रतिशत की सटीकता है.”
अब तक का सबसे हैरान करने वाला कहानी
लेकिन रिक्रूटर को उम्मीदवार का यह जवाब पसंद नहीं आया. उन्होंने कहा, “गलत.” उन्होंने बताया कि बेंगलुरु सिर्फ एक सामान्य शहर नहीं है, जहां बारिश की गणना की जाती है. यहां की बारिश इतनी अप्रत्याशित और बदलती रहती है कि लोग अपने हृदय से महसूस करते हैं कि कब छाता लेना है. यहां तो लोग धूप में भी छाता साथ लेकर चलते हैं, क्योंकि अचानक बारिश हो सकती है. रिक्रूटर ने यह भी कहा कि उम्मीदवार की गणना अच्छी थी, लेकिन उसने बेंगलुरु की असली प्रकृति को समझने की कोशिश नहीं की. बेंगलुरु एक ऐसा शहर है जो बादलों, बागानों और मौसम के अनोखे मिजाज वाला है. इसे केवल आंकड़ों में बांधना गलत है.
इस साल हुई सबसे ज्यादा बारिश
हाल ही में बेंगलुरु ने मई महीने में अब तक की सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की है. इस साल मई में 307.9 मिमी बारिश हुई, जो पिछले साल के 305.4 मिमी से ज्यादा है. यह रिकॉर्ड 1957 के बाद सबसे बड़ा है. यही वजह है कि यहां बारिश के मौसम को समझना इतना मुश्किल है. इस वजह से रिक्रूटर ने उम्मीदवार को नौकरी से रिजेक्ट कर दिया. उम्मीदवार की गणित की समझ भले ही अच्छी हो, लेकिन उसने बेंगलुरु के अनोखे मौसम के हिसाब से सोचने का तरीका नहीं अपनाया.