Bengaluru software professionals news: कॉर्पोरेट एम्प्लाई हों या कुछ और काम धंधा करने वाले, सब मर्जी से अपनी जिंदगी जीते हैं. वीकेंड पर चद्दर तान कर सोना है या घूमने जाना या कुछ प्रोडक्टिव करना, लोग अपने हिसाब से करते हैं. देश का संविधान भी शांति से जीने का अधिकार देता है. इस भूमिका के बीच बेंगलूरू में हाईफाई सैलरी पैकज पाने वाले टेकी की पर्सनल लाइफ की कहानी वायरल हो रही है. उसकी कहानी के कैप्शन में लोग बंदा ये बिंदास है... जैसी बातें लिख रहे हैं.
इंफोसिस कर्मचारी और बाइट टैक्सी राइडर
बेंगलुरु की एक महिला ने ये किस्सा सोशल मीडिया पर शेयर किया है. उसने बताया कि कैसे एक दिन उसकी मुलाकात उस बंदे से हुई जो इंफोसिस जैसी एमएनसी में काम करता है. वो कंपनी की कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट टीम का हिस्सा है. उस डायनमिक शख्स से महिला की अचानक मुलाकात की वजह भी कम दिलचस्प नहीं है.
लिंक्डइन पर चार्मिका नागल्ला ने इंफोसिस कर्मचारी के साथ हुए अपने पहले संवाद के बारे में लिखा- 'हैलो, क्या आपको मेरी आवाज आ रही है.' ऐसा तब हुआ जब चार्मिका बेंगलुरू में एप से कैब बुक करने के बाद राइडर से बात कर रही थीं. यानी पहला संवाद कुछ ऐसा था जो आमतौर पर तमाम ऑफिसों की वर्चुअल मीटिंग में होता है.
महिला ने आगे लिखा- बातचीत में मुझे पता चला कि मेरा राइडर एक इंफोसिस का कर्मचारी था. उस टेकी ने मुझे बताया कि वो वीकेंड पर बाइक टैक्सी सर्विस के लिए ड्राइविंग करके अपना वक्त बिताता है. उसका कहना है कि सोशल मीडिया पर टाइम बर्बाद करने के बजाए उसे एक गिग वर्कर के रूप में अतिरिक्त पैसे कमाना ज्यादा अच्छा लगता है. उसने कहा सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करने के बजाय उसे बाइक चलाना प्रोडक्टिव लगता है.
संयोग देखिए
महिला ने बताया कि उसकी साथ घटी ये ये कोई अकेली घटना नहीं थी. इंफोसिस एम्प्लाई से मुलाकात के अगले दिन ही जब वो उबर बाइक से घर लौट रही थी, उसका राइडर तो प्रीमियम कपड़े पहने था, उसके कपड़ों का ब्रांड उसकी हैसियत बता रहा था. महिला ने लिखा बातचीत में मुझे यह पता चला कि मेरा राइडर एक बी2बी इवेंट फर्म के लिए काम करता था और खुद का अकेलापन दूर करने के लिए बाइक चलाता था. ईमानदारी से कहूं तो बेंगलुरू शहर ने हमेशा मुझे हैरान किया है. हालांकि यह देखना अच्छा है कि ज़्यादा लोग गिग वर्क को अपना रहे हैं.'
आखिर इसकी वजह क्या है?
महिला ने अपनी पोस्ट में सवाल पूछा कि चंद घंटों में दो ऐसे लोगों ने मुलाकात के बाद मैं सोचने लगी कि क्या अकेलापन एक महामारी बन रहा है? कुछ समय पहले, हमने एक Microsoft कर्मचारी को अकेलेपन से लड़ने के लिए वीकेंड में Uber ड्राइवर के रूप में काम करते देखा था. इससे मुझे लगता है कि क्या हम इंसान वाकई अपनी जिंदगी में कुछ खो चुके हैं जिसे पाने के लिए लोग ऐसे गिग वर्कर की तरह काम कर रहे हैं.
नेटिजंस में छिड़ी बहस
इस पोस्ट ने बैंगलोर की गिग इकॉनमी के बारे में बहस को जन्म दे दिया. इस चर्चा में लोगों को ऐसा करने वाली फीलिंग्स कैसे आई होगी इस पर इमोशनल होकर विचारों का आदान प्रदान हुआ. महिला की पोस्ट पर कई अन्य लोगों ने भी ऐसे बाइक टैक्सी राइडर और कैब ड्राइवर के रूप में काम करने वाले कॉर्पोरेट प्रोफेशनल्स से मुलाकात के अपने लगभग एक जैसे अनुभव साझा किए.
एक यूजर ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कहानी बताई जो अपनी कॉर्पोरेट नौकरी के खालीपन से बचने के लिए रात में उबर के लिए गाड़ी चलाता था. एक अन्य व्यक्ति ने एक फीमेल मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव से अपनी रोचक मुलाकात के बारे में बताया, जो अनजान लोगों से जुड़ने और अपने डेली रुटीन के खालीपन को दूर करने और खुद के अंदर की चुप्पी को तोड़ने के लिए वीकेंड में बाइक टैक्सी राइडर के रूप में काम करती थी.
एक उपयोगकर्ता ने लिखा, 'मुझे लगता है कि हम लोग एक नीरस जिंदगी में जी रहे हैं. हमारे भीतर कई ऐसे गहरे मुद्दे हैं जिनके बारे में कोई बात करने के लिए तैयार नहीं है. हमें ये अकेलापन समय रहते दूर करने की जरूरत है.'