Timberland Regional Library: ज्यादातर लोग लाइब्रेरी में जाकर किताबें पढ़ना पसंद करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो बुक्स इश्यू करवा लेते हैं और घर लेजाकर आराम से पढ़ते हैं. हालांकि, लाइब्रेरी में एक समस्या बेहद ही आम है कि लोग किताबों को नहीं लौटाते और लंबे अरसों तक अपने पास रखे रहते हैं. देरी करने पर एक्स्ट्रा लेट फीस भी देनी पड़ती है. हालांकि, कई लोगों ने हजारों रुपये नहीं लौटाए और किताबें अपनी पास रखी है. कोविड के दौरान एक कैंपेन चलाया गया- जिसमें लोगों को लेट फीस माफी के साथ किताबें लौटाने को कहा गया. उसके बाद से कई सारे लोगों ने सालों पुरानी किताबें लौटाई. एक शख्स ने तो 81 साल बाद एक किताब को लौटाया वो भी आधी पढ़ी हुई.
शख्स ने 81 साल बाद इशू की गई किताब लौटाई
वाशिंगटन लाइब्रेरी के कर्मचारी उस समय आश्चर्य में पड़ गए जब एक शख्स करीब 81 साल बाद इशू की गई किताब लौटाई. टिम्बरलैंड रीजनल लाइब्रेरी ने कहा कि एबरडीन टिम्बरलैंड लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन को बीते सप्ताह चार्ल्स नॉर्डहॉफ और जेम्स नॉर्मन हॉल की द बाउंटी ट्रिलॉजी बुक वापस आई. इस बुक कवर के अंदर के कार्ड से पता चला कि यह किताब 30 मार्च, 1942 को इशू की गई थी. बुक लौटाने वाले व्यक्ति ने बताया कि यह हाल ही में एक फैमिली स्टोरेज यूनिट में पाया गया था. लाइब्रेरियन यह जानकर चकित थे कि बुक ले जाने वाले संरक्षक ने अंदर के कवर पर एक समीक्षा लिखी थी: "यदि मुझे पैसे भी दिए जाते तो मैं इस किताब को नहीं पढ़ता."
40 हजार रुपये की लेट फीस कर दी माफ
लाइब्रेरी के अधिकारियों ने कहा कि किताब रविवार और छुट्टियों को छोड़कर प्रति दिन 2 सेंट की 1942 की दर के तहत विलंब शुल्क $484 (करीब 40 हजार रुपये) होते हैं, लेकिन पुस्तकालय ने COVID-19 महामारी के दौरान विलंब शुल्क को समाप्त कर दिया था. पुस्तकालय ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, "इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? यदि आपके पास किसी किताब पर धूल जम रही है - तो उसे पुस्तकालय में वापस कर दें. हम इसे वापस ले लेंगे, और इनाम के तौर पर हम किताब को फुल पेमेंट मानेंगे."