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घर में हैं पालतू जानवर तो दान करें क्योंकि भूखे शेर-भालू को खाना है! इस Zoo की ये अजीबोगरीब डिमांड कर देगी हैरान

Trending News: डेनमार्क के एक चिड़ियाघर ने एक ऐसा ऐलान किया है, जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है. आलबोर्ग जू ने लोगों से अपील की है कि वे अपने छोटे पालतू जानवर जैसे खरगोश, मुर्गियां, गिनी पिग या घोड़े अगर अब नहीं पाल सकते तो उन्हें चिड़ियाघर को दान कर दें.

 
घर में हैं पालतू जानवर तो दान करें क्योंकि भूखे शेर-भालू को खाना है! इस Zoo की ये अजीबोगरीब डिमांड कर देगी हैरान
Alkesh Kushwaha|Updated: Aug 05, 2025, 12:19 PM IST
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Aalborg Zoo: डेनमार्क के एक चिड़ियाघर ने एक ऐसा ऐलान किया है, जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है. आलबोर्ग जू ने लोगों से अपील की है कि वे अपने छोटे पालतू जानवर जैसे खरगोश, मुर्गियां, गिनी पिग या घोड़े अगर अब नहीं पाल सकते तो उन्हें चिड़ियाघर को दान कर दें. लेकिन ये दान किसी प्यारे कोने या देखभाल केंद्र के लिए नहीं है, बल्कि इन जानवरों को वहां के मांसाहारी जानवरों का भोजन बनाया जाएगा.

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चिड़ियाघर ऐसा क्यों कर रहा है?

आलबोर्ग जू के मुताबिक, उनका उद्देश्य अपने मांसाहारी जानवरों के लिए प्रकृति के जैसा ही वातावरण तैयार करना है. जंगल में शेर, बाघ जैसे जानवर जो पूरा शिकार खाते हैं, उनके लिए चिड़ियाघर में भी ऐसा ही भोजन उपलब्ध कराया जाना चाहिए. इससे न केवल जानवरों की सेहत अच्छी रहती है बल्कि उनका व्यवहार भी प्राकृतिक बना रहता है.

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दान किए गए जानवरों के साथ क्या किया जाएगा?

चिड़ियाघर ने साफ किया है कि जिन जानवरों को दान किया जाएगा, उन्हें पहले प्रशिक्षित स्टाफ द्वारा आराम से मार दिया जाएगा. इसके बाद उन्हें मांसाहारी जानवरों के भोजन के रूप में उपयोग किया जाएगा. चिड़ियाघर का कहना है कि ऐसा करने से कुछ भी बर्बाद नहीं होता और शिकारी जानवरों की पोषण जरूरतें भी पूरी होती हैं.

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कौन-कौन से जानवर लिए जाएंगे?

आलबोर्ग जू हर हफ्ते सोमवार से शुक्रवार सुबह 10 से दोपहर 1 बजे के बीच अधिकतम चार जानवर एक बार में ले सकता है. इनमें मुर्गियां, खरगोश और गिनी पिग शामिल हैं. इसके अलावा घोड़े भी लिए जाते हैं, लेकिन उनके लिए कुछ शर्तें हैं जैसे वे पिछले एक महीने में किसी बीमारी का इलाज न करा रहे हों, उनका आकार सीमित हो और वे यात्रा के लिए सुरक्षित हों.

घोड़े दान करने पर टैक्स में छूट भी?

चौंकाने वाली बात यह है कि अगर कोई व्यक्ति अपना घोड़ा दान करता है, तो वह उसके मूल्य पर टैक्स छूट का दावा कर सकता है. हालांकि चिड़ियाघर ने यह भी बताया है कि सालभर में उनकी जरूरतें बदलती रहती हैं और कभी-कभी प्रतीक्षा सूची भी होती है. इस ऐलान के बाद सोशल मीडिया पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं. कुछ लोग इसे क्रूरता मानते हैं, जबकि कई इसे प्राकृतिक जीवन चक्र को बनाए रखने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं. चिड़ियाघर की दलील है कि ये प्रक्रिया पूरी तरह वैज्ञानिक और पशु-हित में है.

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