Desi Jugaad Video: अफगानिस्तान के कंधार में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है और तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच रहा है, वैसे-वैसे टैक्सी ड्राइवरों ने गर्मी से बचने के लिए एक अनोखा उपाय खोज लिया है. यहां की नीली टैक्सियों में अब छत पर हाथ से बनाए गए कूलिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं, जिससे ड्राइवर और यात्री दोनों को राहत मिल सके.
इन टैक्सियों की छत पर एक छोटा सा कूलर बांधा गया है, जो टैक्सी की बैटरी से जुड़ा होता है और उसमें समय-समय पर पानी डाला जाता है. एक नली के ज़रिए ठंडी हवा सीधे पैसेंजर विंडो से अंदर आती है. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, टैक्सी ड्राइवर गुल मोहम्मद ने बताया कि कुछ साल पहले जब गर्मी असहनीय हो गई, तब उन्होंने एक टेक्नीशियन से मिलकर खास कूलर बनवाया, जिसकी कीमत करीब 3,000 अफगानी (लगभग ₹3,600 या $43) पड़ी.
VIDEO: Afghanistan taxi drivers turn to handmade coolers to beat the heat
As temperatures soar in southern Afghanistan, taxi drivers in Kandahar have taken to installing handmade cooling systems on their vehicles to beat the heat. pic.twitter.com/CevZEuFooV
— AFP News Agency (@AFP) July 10, 2025
कैसे काम करता है जुगाड़ वाला एसी
एक और ड्राइवर अब्दुल बारी ने बताया कि यह देसी कूलर गाड़ी के अंदर पहले से लगे एसी से ज्यादा बेहतर काम करता है, क्योंकि एसी सिर्फ आगे की सीटों को ठंडा करता है, जबकि यह कूलर पूरी टैक्सी में हवा फैलाता है. कुछ टैक्सी ड्राइवरों ने अपनी गाड़ियों में सोलर पैनल भी लगाए हैं, जिससे इन कूलिंग सिस्टम्स को बिजली दी जा सके. 21 साल के तकनीशियन मुर्तजा ने बताया कि पिछले दो-तीन सालों में टैक्सी ड्राइवरों की मांग बढ़ गई है, क्योंकि अधिकतर पुरानी टैक्सियों में एसी पहले से नहीं होते.
अफगानिस्तान में इस्तेमाल हो रही ज्यादातर गाड़ियां पड़ोसी देशों से पुरानी हालत में आती हैं. ऐसे में जब भी गर्मी बहुत ज्यादा होती है तो ड्राइवर और यात्रियों के लिए सफर करना मुश्किल हो जाता है. एक यात्री ने बताया, "जब कूलर नहीं होता, तो बहुत तकलीफ होती है. ये ड्राइवर लोग समस्या का हल निकाल रहे हैं, ये बहुत अच्छी बात है." गौरतलब है कि अफगानिस्तान एक गरीब देश होने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के असर से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है. यहां गर्मी की लहरें और सूखा अब आम बात हो चुकी है, जिससे लोगों को और ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.