Empire of Atlantium: दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो खुद की एक नए देश जैसी व्यवस्था बना लेते हैं, जिसे माइक्रोनेशन कहा जाता है. माइक्रोनेशन असल में कानूनी रूप से देश नहीं होते, लेकिन इनके झंडे, नियम, सिक्के और नेता होते हैं. ऑस्ट्रेलिया को माइक्रोनेशन की राजधानी कहा जाता है, क्योंकि वहां सबसे ज्यादा माइक्रोनेशन बने हैं.
कैसे शुरू हुआ अटलांटियम नामक अनोखा देश?
बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक, 1981 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में 14 साल के जॉर्ज क्रूकशैंक ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपने घर के आंगन को 'अटलांटियम साम्राज्य' घोषित कर दिया था. उन्होंने खुद को सम्राट जॉर्ज II घोषित किया, झंडा फहराया और अपनी सरकार बना ली. अब यह माइक्रोनेशन करीब 80 हेक्टेयर की जमीन पर बना है, जिसका प्रशासनिक मुख्यालय कॉन्कॉर्डिया नामक जगह में है.
जॉर्ज ने देश का नेशनल एंथम भी बनाया है. देश की राजधानी का नाम ऑरोरा रखा. इस देश का क्षेत्रफल अब 10 वमी से 0.75 वर्ग किमी है. इसकी प्रॉपर्टी में ढेर सारी झाड़ियां और एक केबिन है जिसे सरकारी आवास कहा जाता है. यही पर इस देश का एक पोस्ट ऑफिस भी है.
माइक्रोनेशन बनाने का मकसद क्या है?
क्रूकशैंक का मकसद असली देश की अवधारणा को चुनौती देना है. उनके अनुसार, राष्ट्रों की सीमाएं और संप्रभुता एक कल्पना है जिसे लोगों ने सच मान लिया है. वे लोगों को सोचने पर मजबूर करना चाहते हैं कि क्या वाकई में राष्ट्र जैसी चीज़ें प्राकृतिक हैं या बनाई गई हैं. बताया जाता है कि आज लगभग 3000 नागरिक इस देश के हैं.
क्या ऐसे और भी अनोखे माइक्रोनेशन हैं?
स्वीडन का 'लाडोनिया' भी एक अनोखा माइक्रोनेशन है, जिसकी रानी कैरोलिन अमेरिका से हैं. लाडोनिया की राजधानी एक जंगल में लकड़ी की मूर्तियों से बनी है और वहां केवल पैदल ही जाया जा सकता है. लाडोनिया में केवल रानी होती है, राजा नहीं. यहां 27,000 से ज्यादा नागरिक हैं जो कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं.
क्या माइक्रोनेशन असली देश बन सकते हैं?
कानूनी रूप से आज तक कोई भी माइक्रोनेशन एक वास्तविक देश नहीं बन पाया है. हालांकि, कुछ ने सामाजिक या राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान खींचने में सफलता पाई है. जैसे कि 'फ्रेस्टोनिया' ने 1970 के दशक में सरकार की नीतियों को बदलने में योगदान दिया. लेकिन कुछ माइक्रोनेशन जैसे 'हट रिवर' और 'किंगडम ऑफ जर्मनी' को टैक्स और कानूनी मामलों में दिक्कतें आईं.