Ganpatyar Temple: श्रीनगर में 200 साल पुराना गणपत्यार मंदिर (Ganpatyar Temple) कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) का सबसे पूजनीय गणेश मंदिर है. यह मंदिर पवित्र वितस्ता नदी (Vitasta River) के किनारे, हब्बा कदल (Habba Kadal) में स्थित है, जिसे गणेश विहार (Ganesh Vihar) के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है. यह लाल चौक से महज 2 किमी दूर है. 90 के दशक में यह मंदिर जर्जर हो गया था. लेकिन इस मंदिर को एक बार फिर स्वरूप बदला. मंदिर की सुरक्षा के लिए CRPF मौजूद रहती है. यहां 4 पंडित परिवार रहते हैं. यही परिवार इस मंदिर की देखभाल करता है. आइए, इस पवित्र स्थल की कहानी को जानते हैं.
प्राचीन इतिहास और बौद्ध संबंध
गणपत्यार मंदिर का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है. मशहूर चीनी यात्री ह्वेनसांग एक बौद्ध भिक्षु थे, उन्होंने अपनी यात्रा डायरी में इस स्थान का जिक्र किया है. उन्होंने गणपत्यार के पास बडियार, जिसे प्राचीन काल में बृहत विहार कहा जाता था, वहां पर समय बिताया था. उस समय यहां एक बौद्ध मठ (Buddhist Monastery) भी था, जो अब नहीं है. लेकिन सिद्धि विनायक की मौजूदगी आज भी इस स्थान को जीवंत रखती है.
क्या थी पौराणिक कथा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणपत्यार वह स्थान है जहां ऋषि कश्यप को भगवान गणेश ने आश्वासन दिया था कि कश्मीर घाटी में नाग, पिशाच और यक्ष के अलावा अन्य लोग भी बस सकेंगे. यह कथा इस मंदिर को और भी खास बनाती है. गणपत्यार मंदिर कश्मीर का एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर है, जहां फरवरी 1990 से पहले हर साल 25,000 भक्त दर्शन करने आते थे. इतिहास बताता है कि पठान शासन के दौरान, लगभग 1760-1765 में, सिद्धि विनायक की प्राचीन मूर्ति को वितस्ता नदी (Jhelum River) में फेंक दिया गया था. बाद में 1854-55 में इसे नदी से निकाला गया और फिर से स्थापित किया गया. यह मूर्ति कश्मीर की सबसे पुरानी गणेश मूर्ति मानी जाती है.
18वीं शताब्दी की शुरुआत में, तीर्थ संग्रह नामक ग्रंथ में सुहिब कौल ने लिखा है कि जो भक्त हरि पर्वत या प्रद्युम्न-पीठ की रोजाना तीर्थ यात्रा करते थे, वे गणपत्यार में सिद्धि विनायक के दर्शन जरूर करते थे.
ज्येष्ठा माता मंदिर से संबंध
कम ही लोग जानते हैं कि ज्येष्ठा माता मंदिर में मौजूद शिवलिंग पहले गणपत्यार मंदिर में था. 1989 में इसे ज्येष्ठा माता मंदिर में स्थानांतरित किया गया. यह तथ्य मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाता है. आज भी गणपत्यार मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. यहां की सिद्धि विनायक मूर्ति कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. वितस्ता नदी के किनारे बसा यह मंदिर शांति और भक्ति का अनुभव कराता है.