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WATCH: न पोर्क, न बीफ... सिर्फ खीरे के रोल! जापान में भारतीय युवक ने बताई अपनी संघर्ष की कहानी

Japan Viral Video: जापान में शाकाहारी भारतीयों को खाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. निखिल ने बताया कि सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले शाकाहारी विकल्पों की तुलना में हकीकत अलग है. उन्हें अक्सर सिर्फ खीरे के रोल (कप्पा माकी) खाना पड़ता है या फिर खुद खाना बनाना पड़ता है.

WATCH: न पोर्क, न बीफ... सिर्फ खीरे के रोल! जापान में भारतीय युवक ने बताई अपनी संघर्ष की कहानी
Shivam Tiwari|Updated: Mar 09, 2025, 03:27 PM IST
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Viral Video: विदेश में रहना हमेशा एक रोमांचक अनुभव होता है, लेकिन जब बात खाने-पीने की आती है, तो कुछ लोगों के लिए यह मुश्किल भी बन सकता है. खासकर उन भारतीयों के लिए जो सख्त शाकाहारी होते हैं. हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक भारतीय युवक जापान में शाकाहारी होने के संघर्ष के बारे में बात कर रहा है. इस वीडियो को इंस्टाग्राम क्रिएटर रिकी विद जापान मेट्स ने शेयर किया है.

वीडियो में निखिल नाम के युवक ने बताया कि जापान में शाकाहारियों के लिए भोजन ढूंढना बहुत कठिन है. उन्होंने कहा कि भले ही कुछ सोशल मीडिया रील्स यह दिखाती हैं कि जापान में कई रेस्टोरेंट्स में शाकाहारी और भारतीय व्यंजन उपलब्ध हैं, लेकिन हकीकत इससे अलग है. "हम अक्सर सिर्फ कप्पा माकी (खीरे के रोल) खाने पर मजबूर हो जाते हैं," निखिल ने कहा. उन्होंने बताया कि ज्यादातर जापानी खाने में अंडे, मांस या समुद्री भोजन किसी न किसी रूप में शामिल होता है, जिससे सख्त शाकाहारियों के लिए मुश्किलें बढ़ जाती हैं.

खुद खाना बनाना ही एकमात्र विकल्प

निखिल ने बताया कि जो भारतीय खुद के लिए खाना बना सकते हैं, वे ही स्वादिष्ट और संतुलित आहार ले पाते हैं. बाकी लोगों को बाहर सिर्फ सादा चावल, खीरे के रोल या सलाद जैसे सीमित विकल्पों पर निर्भर रहना पड़ेगा. इसके अलावा, भारतीय मसाले और सब्जियां जापान में आसानी से नहीं मिलतीं, जिससे खाना बनाना और भी कठिन हो जाता है.

 

जापान में नस्लभेद का भी करना पड़ा सामना

यह वीडियो सिर्फ खाने को लेकर नहीं था, बल्कि इसमें निखिल ने जापान में नस्लवाद (रैसिज़्म) के अपने अनुभव भी साझा किए. उन्होंने बताया कि कई बार स्थानीय लोग भारतीयों के प्रति अभद्र व्यवहार करते हैं. उन्होंने कहा, "एक बार एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बिना किसी कारण मुझसे झगड़ा करने की कोशिश की. एक और व्यक्ति ने जानबूझकर मुझसे टकराया. ट्रेन में हाई स्कूल की लड़कियां जोर-जोर से हंस रही थीं, लेकिन किसी ने उन्हें कुछ नहीं कहा, बल्कि मुझे ही चुप रहने के लिए कह दिया."

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