trendingNow12737831
Hindi News >>जरा हटके
Advertisement

Knowledge News: अजय देवगन के 'रेड 2' से नहीं समझे तो यहां जानें क्या होता है 'कोष मूलो दंड' का मतलब?

Knowledge News: कौटिल्य के अर्थशास्त्र में 'कोष मूलो दण्ड' का अर्थ है कि राजस्व प्रशासन की रीढ़ है. यह विचार बताता है कि किसी देश की ताकत उसकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है. भारत के आयकर विभाग के लोगो में यह नारा देवनागरी लिपि में लिखा है.

 
Knowledge News: अजय देवगन के 'रेड 2' से नहीं समझे तो यहां जानें क्या होता है 'कोष मूलो दंड' का मतलब?
Alkesh Kushwaha|Updated: May 01, 2025, 01:17 PM IST
Share

Knowledge News: चाणक्य को ही कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से जाना जाता था. वह प्राचीन भारतीय राजनीतिक-आर्थिक ग्रंथ अर्थशास्त्र के लेखक थे. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में 'कोष मूलो दण्ड' का अर्थ है कि राजस्व प्रशासन की रीढ़ है. यह विचार बताता है कि किसी देश की ताकत उसकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है. भारत के आयकर विभाग के लोगो में यह नारा देवनागरी लिपि में लिखा है. 1 मई को रिलीज हुई अजय देवगन की फिल्म 'रेड 2' में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. कौटिल्य ने अपने समय में कई तरह के टैक्स और फीस का जिक्र किया, जो आज भी प्रशासन में उपयोगी हैं. 

यह भी पढ़ें: 1947 में भारत छोड़कर पाकिस्तान जाने वालों को सुनाया गया था ऐसा फरमान, चाहकर भी नहीं भूल पाएंगे

क्या है 'कोष मूलो दण्ड' का अर्थ?

कौटिल्य का मानना था कि सरकार की शक्ति उसके खजाने से आती है. 'कोष मूलो दण्ड' का मतलब है कि मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना शासन संभव नहीं. देश को चलाने, सेना को बनाए रखने और जनकल्याण के लिए धन जरूरी है. इसलिए कौटिल्य ने टैक्स के जरिए राजस्व जुटाने पर जोर दिया. उनके विचार आज भी आधुनिक कर प्रणाली में दिखते हैं.

क्या थे कौटिल्य के प्रमुख कर

कौटिल्य ने कई तरह के टैक्स के बारे में बताया है. इनमें सीमा शुल्क जैसे आयात शुल्क, निर्यात शुल्क और शहर के प्रवेश द्वार पर शुल्क शामिल थे. उन्होंने उत्पादन का हिस्सा देने का भी टैक्स बताया, जैसे फसल का छठा हिस्सा सरकार को देना. वहीं, नकदी टैक्स, सैन्य कर, रोड टैक्स, एकाधिकार कर, रॉयल्टी और गांवों द्वारा सामूहिक कर.

यह भी पढ़ें: हाफ पैंट-चप्पल पहनकर पासपोर्ट ऑफिस में घुसा तो गार्ड ने जमकर डांटा, फिर लोगों ने पूछे ऐसे-ऐसे सवाल

आधुनिक समय में प्रासंगिकता

कौटिल्य के टैक्स आज भी कई रूपों में मौजूद हैं. उदाहरण के लिए सीमा शुल्क आज के कस्टम ड्यूटी की तरह है. आयकर और जीएसटी जैसे कर भी राजस्व जुटाने का आधार हैं. कौटिल्य का मानना था कि टैक्स का बोझ जनता पर ज्यादा नहीं पड़ना चाहिए. उन्होंने निष्पक्ष और व्यवस्थित कर प्रणाली की वकालत की. कौटिल्य का 'कोष मूलो दण्ड' आज भी शासन के लिए महत्वपूर्ण है. उनका कर प्रशासन न केवल राजस्व जुटाने का साधन था, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता का आधार भी था. उनकी प्रणाली से प्रेरणा लेकर आज का भारत अपनी कर नीतियां बनाता है.

Read More
{}{}