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Knowledge News: इंडिया के ज्यादातर शहरों में क्यों होते हैं सिविल लाइन्स? सिंपल से सवाल का जान लें जवाब

Knowledge News: आपने अपनी शहर की सिविल लाइन्स इलाके का नाम जरूर सुना होगा. यह क्षेत्र भारत के छोटे-बड़े लगभग सभी शहरों में पाया जाता है, जैसे कि प्रयागराज, कानपुर, रुड़की, दिल्ली, बरेली और फतेहपुर.

 
Knowledge News: इंडिया के ज्यादातर शहरों में क्यों होते हैं सिविल लाइन्स? सिंपल से सवाल का जान लें जवाब
Alkesh Kushwaha|Updated: Jan 17, 2025, 05:49 PM IST
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Most Indian Cities Have Civil Lines: आपने अपनी शहर की सिविल लाइन्स इलाके का नाम जरूर सुना होगा. यह क्षेत्र भारत के छोटे-बड़े लगभग सभी शहरों में पाया जाता है, जैसे कि प्रयागराज, कानपुर, रुड़की, दिल्ली, बरेली और फतेहपुर. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नाम 'सिविल लाइन्स' क्यों पड़ा और यह इतने शहरों में क्यों पाया जाता है? हाल ही में कंटेंट क्रिएटर वरुण गर्ग ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने सिविल लाइन्स के नाम और इसके इतिहास के बारे में रोचक जानकारी दी.

 

ब्रिटिश शासन का असर

सिविल लाइन्स का इतिहास ब्रिटिश शासन से जुड़ा हुआ है. 1800 के दशक में, जब ब्रिटिश भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे, उन्होंने भारतीयों और अंग्रेजों के बीच कड़ी अलगाव नीति लागू की थी. भारतीयों को अंग्रेजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सार्वजनिक स्थानों में बैठने, खाने या प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी. इस सामाजिक विभाजन को लागू करने के लिए ब्रिटिशों ने एक विशेष क्षेत्र बनाया, जहां केवल अंग्रेज अधिकारी और प्रभावशाली लोग रहते थे. इस क्षेत्र में भारतीयों का प्रवेश प्रतिबंधित था.

व्हाइट टाउन और एलीट लाइफ

ब्रिटिशों द्वारा बनाए गए इस क्षेत्र में बड़े-बड़े बंगले और डांसिंग क्लब्स थे, जहां अंग्रेजों के मनोरंजन के लिए अलग से व्यवस्था की जाती थी. इसे 'व्हाइट टाउन' के नाम से जाना जाता था, क्योंकि यह क्षेत्र केवल गोरे निवासियों के लिए निर्धारित था. सिविल लाइन्स शब्द का इस्तेमाल भी इसी से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इसे मुख्य रूप से सिविल अधिकारियों और बाकी नागरिकों के बीच एक भेदभावपूर्ण विभाजन के रूप में तैयार किया गया था.

 

आज की स्थिति

वर्तमान में, सिविल लाइन्स के कई पुराने बंगले आज भी उच्च सरकारी अधिकारियों को आवंटित किए जाते हैं. यह क्षेत्र अब ऐतिहासिक और सरकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है. हालांकि, इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों में अब आम नागरिकों को भी रहने की अनुमति मिल गई है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य सिविल अधिकारियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था.

 

 

वायरल वीडियो और प्रतिक्रिया

वरुण गर्ग का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हुआ है, हालांकि इसे केवल 9,000 से ज्यादा व्यूज मिले हैं. इस वीडियो में दी गई जानकारी को कई यूजर्स ने सराहा है और इसके लिए वे आभार और दिल के इमोजी के साथ अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. वीडियो ने लोगों को सिविल लाइन्स के इतिहास के बारे में नई जानकारी दी है और यह दर्शाता है कि किस तरह ब्रिटिश शासकों ने अपने समय में समाज के अलग-अलग वर्गों को एक दूसरे से अलग रखने के लिए योजनाएं बनाई थीं.

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