Knowledge News: भारत के शहर जितने रंग-बिरंगे और विविधता से भरे हुए हैं, उतनी ही दिलचस्प है उनके नामों की कहानी. आपने जयपुर, कानपुर, हैदराबाद, अहमदाबाद जैसे नाम जरूर सुने होंगे. हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई जिसमें पूछा गया, "आखिर क्यों इतने सारे भारतीय शहरों के नाम 'पुर' या 'बाद' पर खत्म होते हैं?" इस सवाल ने लाखों लोगों की जिज्ञासा जगा दी और कई ने इसके पीछे का इतिहास जानने की कोशिश की.
'पुर' शब्द का मतलब क्या है?
वीडियो में दावा किया गया है कि 'पुर' शब्द संस्कृत से आया है जिसका अर्थ होता है ‘शहर’ या ‘नगर’. प्राचीन भारत में जब भी कोई राजा किसी नई बस्ती या किले की स्थापना करता था तो अक्सर उसके नाम में 'पुर' जोड़ा जाता था. उदाहरण के लिए जयपुर (जय सिंह द्वारा बसाया गया), उदयपुर (उदय सिंह द्वारा) और ग्वालियर (ग्वालिपुर) जैसे शहर इसी परंपरा को दर्शाते हैं. यह भी कहा गया कि 'पुर' कभी-कभी ‘किला’ के संदर्भ में भी इस्तेमाल होता था.
भाषाविदों के अनुसार 'पुर' का प्रयोग वैदिक काल से होता आ रहा है और ऋग्वेद में भी इसका उल्लेख मिलता है. उत्तर भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी यह शब्द लोकप्रिय था. जैसे तिरुपुर और काशीपुर में इसका उपयोग आज भी दिखाई देता है.
'बाद' कहां से आया?
वीडियो में यह भी दावा किया गया कि 'बाद' शब्द फारसी मूल का है और 'आबाद' से बना है, जिसका अर्थ होता है ‘बसाई गई जगह’ या ‘विकसित बस्ती’. यह शब्द भारत में मुगल काल के दौरान लोकप्रिय हुआ, जब फारसी भाषा प्रशासन और संस्कृति का हिस्सा बन गई थी. हैदराबाद (हैदर अली के नाम पर) और अहमदाबाद (अहमद शाह द्वारा बसाया गया) जैसे शहरों के नाम इसी परंपरा से जुड़े हैं. अक्सर ऐसे शहरों के नाम में 'बाद' इसलिए जोड़ा गया क्योंकि वे पानी के स्रोतों के पास बसाए गए थे- जो खेती और जीवन के लिए जरूरी थे. इसलिए यह न केवल सांस्कृतिक बल्कि भौगोलिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था.
सोशल मीडिया पर मजेदार प्रतिक्रियाएं
इस विषय पर सोशल मीडिया पर कई मजेदार कमेंट्स भी आए. किसी ने लिखा, "पुर वाले शहर पुराने हैं, बाद वाले थोड़े नए हैं." एक और यूजर ने मजाक में कहा, "अब नया शहर 'नोइडापुर' या 'बैंगलोरबाद' होना चाहिए!"