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Knowledge News: ज्यादा ठंडा पानी पीने से क्यों लड़खड़ाने लगती है जुबान? जानिए सच्चाई और वैज्ञानिक वजहें

Knowledge News: अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि बहुत ठंडा पानी पीने से क्या हकलाना (Stammering) शुरू हो सकता है? इसका जवाब है नहीं, ठंडा पानी पीने से सीधा कोई संबंध हकलाने से नहीं होता.

 
Knowledge News: ज्यादा ठंडा पानी पीने से क्यों लड़खड़ाने लगती है जुबान? जानिए सच्चाई और वैज्ञानिक वजहें
Alkesh Kushwaha|Updated: Jun 20, 2025, 01:07 PM IST
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Knowledge News: अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि बहुत ठंडा पानी पीने से क्या हकलाना (Stammering) शुरू हो सकता है? इसका जवाब है नहीं, ठंडा पानी पीने से सीधा कोई संबंध हकलाने से नहीं होता. हकलाना एक बोलने से जुड़ा स्पीच डिसऑर्डर (वाणी विकार) है, जो वाक्य के बहाव में बार-बार रुकावट या अटकने का कारण बनता है.

हालांकि, कुछ लोगों को ठंडा पानी पीने के बाद अस्थायी रूप से बोलने में परेशानी हो सकती है, जिससे ऐसा लग सकता है कि वे हकलाने लगे हैं. लेकिन यह स्थिति असली हकलाने जैसी नहीं होती और आमतौर पर कुछ समय बाद ठीक हो जाती है.

ऐसा भ्रम क्यों होता है?

1. मांसपेशियों में ऐंठन:
बहुत ठंडा पानी पीने से जीभ और मुंह की मांसपेशियों में हल्की ऐंठन हो सकती है. इससे कुछ समय के लिए बोलने में रुकावट महसूस हो सकती है, जो लोगों को हकलाने जैसा लग सकता है.

2. संवेदना में बदलाव:
ठंडा पानी जीभ और मुंह की संवेदनाओं को कुछ समय के लिए बदल सकता है. इससे ऐसा लग सकता है कि आप अपने मुंह और जीभ की मांसपेशियों को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं, जिससे बोलने में कठिनाई हो सकती है.

3. घबराहट या असहजता:
ठंड लगने से कुछ लोगों में घबराहट या बेचैनी बढ़ सकती है, खासकर जो पहले से ही किसी तरह की स्पीच समस्या से जूझ रहे हैं. इससे उनकी बोलने की गति और प्रवाह पर असर पड़ सकता है.

असली हकलाना क्या होता है?

हकलाना (Stammering या Stuttering) एक जटिल समस्या है और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

विकासात्मक हकलाना- यह बचपन में शुरू होता है और कई बार वंशानुगत होता है. यह सबसे आम प्रकार है.
न्यूरोजेनिक हकलाना- यह मस्तिष्क की चोट, स्ट्रोक या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण हो सकता है.
मनोवैज्ञानिक हकलाना- यह मानसिक तनाव, ट्रॉमा या अन्य मानसिक कारणों से हो सकता है, हालांकि यह काफी दुर्लभ है.

ठंडा पानी पीने से स्थायी हकलाने की समस्या नहीं होती. हालांकि, कभी-कभी यह अस्थायी बोलने में कठिनाई जरूर ला सकता है, लेकिन इसे हकलाना नहीं कहा जा सकता. हकलाना एक गंभीर और अलग स्पीच डिसऑर्डर है, जिसका इलाज स्पीच थेरेपी या विशेषज्ञ की मदद से किया जाता है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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