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1960 की लव स्टोरी: जाति अलग, धर्म अलग, परिवार थे अगेंस्ट; भागकर की शादी, 64 साल बाद दोबारा हुआ विवाह!

Trending News: गुजरात के एक प्यारे बुजुर्ग कपल हर्ष और मृदु ने हाल ही में अपनी 64वीं सालगिरह बहुत खास और भावनात्मक तरीके से मनाई. अब 80 साल की उम्र में, उन्होंने वो शादी का समारोह किया जो उन्हें 60 साल पहले नहीं मिल सका था.

 
1960 की लव स्टोरी: जाति अलग, धर्म अलग, परिवार थे अगेंस्ट; भागकर की शादी, 64 साल बाद दोबारा हुआ विवाह!
Alkesh Kushwaha|Updated: Mar 25, 2025, 02:22 PM IST
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Love Story Of 1960: गुजरात के एक प्यारे बुजुर्ग कपल हर्ष और मृदु ने हाल ही में अपनी 64वीं सालगिरह बहुत खास और भावनात्मक तरीके से मनाई. अब 80 साल की उम्र में, उन्होंने वो शादी का समारोह किया जो उन्हें 60 साल पहले नहीं मिल सका था. उनके नाती-पोतियों और बड़े परिवार ने मिलकर उनके लिए ये खूबसूरत पल बनाया. हर्ष और मृदु की लव स्टोरी 1960 के दशक में शुरू हुई. उस समय भारत में अलग-अलग जातियों के बीच शादी को समाज बिल्कुल स्वीकार नहीं करता था. 

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हर्ष जैन थे और मृदु ब्राह्मण. दोनों की मुलाकात स्कूल में हुई और चिट्ठियों के जरिए उनका प्यार बढ़ने लगा. लेकिन जब मृदु के परिवार को पता चला, तो उन्होंने इसका सख्त विरोध किया. परिवार का साथ छोड़कर दोनों के सामने मुश्किल फैसला था.

प्यार के लिए भागे

हर्ष और मृदु ने प्यार को चुना और परिवार की मर्जी के खिलाफ भाग गए. बिना किसी सहारे के उन्होंने जिंदगी की शुरुआत की. ये उनके प्यार और हिम्मत की मिसाल थी. दोनों ने मिलकर एक नई जिंदगी बनाई और मुश्किलों का सामना किया. समय के साथ हर्ष और मृदु ने न सिर्फ एक खुशहाल घर बनाया. उनके बच्चे और नाती-पोते उनकी कहानी सुनकर बड़े हुए. इन कहानियों में प्यार और समाज की दीवारों को तोड़ने की ताकत थी. उनके संघर्ष और प्यार को सम्मान देने के लिए नाती-पोतियों ने उनकी 64वीं सालगिरह पर एक खास शादी का आयोजन किया.

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खास शादी का आयोजन

नाती-पोतियों ने इस दिन को सरप्राइज बनाया. हर्ष और मृदु को कुछ देर के लिए अलग किया गया ताकि वे अपनी खास शादी की तैयारी कर सकें. ये पहली बार था जब भागने के बाद वे इस तरह अलग हुए. समारोह में वो सारी रस्में की गईं जो उनकी जवानी में छूट गई थीं. अग्नि के चारों ओर फेरे लिए गए और उन्होंने अपने वादों को फिर से दोहराया.

इस शादी में हर्ष और मृदु ने वही प्यार और विश्वास दिखाया जो उनकी जिंदगी का आधार रहा. उनके परिवार ने तालियों और खुशी के साथ उनका स्वागत किया. ये दिन सिर्फ उनकी सालगिरह नहीं, बल्कि उनके प्यार की जीत का जश्न था. 64 साल बाद भी उनका प्यार उतना ही मजबूत था जितना पहले दिन था. हर्ष और मृदु की कहानी हर किसी को प्रेरणा देती है. ये सिखाती है कि प्यार और हिम्मत से बड़ी से बड़ी मुश्किल को पार किया जा सकता है.

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