Aurangzeb Viral News: भारत एक प्राचीन देश है, जिसकी समृद्ध विरासत और सनातन धर्म को सैकड़ों वर्षों में कई आक्रांताओं ने मिटाने की कोशिश की. उन्होंने यहां अपने शासन का विस्तार किया और सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन भारत की जड़ें इतनी मजबूत थीं कि वे इसे पूरी तरह खत्म नहीं कर सके. वे क्रूर शासक इतिहास के पन्नों में सिमट गए, लेकिन भारत अपनी परंपराओं और संस्कृति के साथ आगे बढ़ता रहा.
फिल्म छावा की रिलीज़ के बाद मुगल शासक औरंगज़ेब की क्रूरता के किस्से फिर से चर्चा में आ गए हैं. वैसे, ऐसा ही एक और मुस्लिम शासक था, जिसने महज़ खुन्नस में भारत की महान ज्ञानशाला को जला दिया था. यह शायद इतिहास की पहली ऐसी घटना थी, जब किताबों से बदला लिया गया, ताकि एक धर्म और उससे जुड़ा ज्ञान हमेशा के लिए मिटाया जा सके.
1190 के दशक में तुर्क-अफगान
1190 के दशक में तुर्क-अफगान जनरल बख्तियार खिलजी ने ऐसी भयावह घटना को अंजाम दिया जो न केवल इंसानों के लिए बल्कि ज्ञान और संस्कृति के लिए भी क्रूरता की मिसाल बन गई. उसके नेतृत्व में आक्रमणकारियों ने प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया. उत्तर और पूर्वी भारत की विजय के दौरान खिलजी ने इस बौद्ध ज्ञान केंद्र को मिटाने की ठानी. इसके पीछे कई मत हैं. कुछ कहते हैं कि वह नालंदा के ज्ञान से ईर्ष्या करता था क्योंकि उसे लगता था कि यह इस्लाम के विचारों को चुनौती दे सकता है, जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उसने बौद्ध धर्म को खत्म करने के इरादे से ऐसा किया.
क्रूर मुस्लिम शासक के अत्याचारों का अंत
नालंदा विश्वविद्यालय 427 ईस्वी में स्थापित हुआ था और पूरे एशिया में ज्ञान का प्रमुख केंद्र था. यह एक आवासीय विश्वविद्यालय था, जिसे किले की तरह बनाया गया था. जब बख्तियार खिलजी ने नालंदा के पुस्तकालय में आग लगवाई, तब वहां 90 लाख से ज्यादा हस्तलिखित ताड़-पत्र पांडुलिपियां थीं. विश्वविद्यालय इतना विशाल था कि उसकी लाइब्रेरी में लगी आग तीन महीने तक जलती रही.
पहले 5वीं सदी में हूणों
इससे पहले 5वीं सदी में हूणों और 8वीं सदी में गौड़ राजा ने भी नालंदा पर हमला किया था, लेकिन किसी ने इसकी लाइब्रेरी को पूरी तरह से नहीं जलाया था. खिलजी ने जो क्रूरता दिखाई, उसका अंजाम भी उसे मिला. राजा पृथु ने उसे इतनी बुरी तरह हराया कि वह शर्मिंदगी के कारण फिर कभी युद्ध नहीं लड़ सका. राजा पृथु ने वास्तव में बख्तियार खिलजी का अंत कर दिया और उसे इतिहास में एक पराजित और कलंकित शासक के रूप में छोड़ दिया.