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हिरोशिमा में तबाही मचा देने वाला परमाणु धमाका भी नहीं मार सका इस छोटे से जीव को, वैज्ञानिक आज तक हैरान!

Hiroshima Nuclear Explosion History: हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों ने पूरे शहरों को मिट्टी में मिला दिया था. लाखों लोग मारे गए और जो बचे वे भयानक पीड़ा से गुजरे. जब युद्ध के बाद इन हमलों की पूरी रिपोर्ट सामने आई तो दुनिया दंग रह गई.

हिरोशिमा में तबाही मचा देने वाला परमाणु धमाका भी नहीं मार सका इस छोटे से जीव को, वैज्ञानिक आज तक हैरान!
Alkesh Kushwaha|Updated: Aug 06, 2025, 09:28 AM IST
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Hiroshima Nuclear Attack: हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों ने पूरे शहरों को मिट्टी में मिला दिया था. लाखों लोग मारे गए और जो बचे वे भयानक पीड़ा से गुजरे. जब युद्ध के बाद इन हमलों की पूरी रिपोर्ट सामने आई तो दुनिया दंग रह गई. सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि जहां रेडिएशन ने लगभग हर जीव को खत्म कर दिया वहीं कॉकरोच बच गए.

क्या है कॉकरोच का रहस्य?

जीवोका की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने कॉकरोच पर शोध किया और पाया कि यह कीड़ा रेडिएशन को सहन करने की अद्भुत क्षमता रखता है. हिरोशिमा और नागासाकी में ज्यादातर कॉकरोच इन हमलों में बच गए. केवल वो कॉकरोच मरे, जो सीधे बम के गर्मी और ऊर्जा के संपर्क में आए. रिपोर्ट बताती है कि कॉकरोच 10,000 रेड (रेडिएशन की इकाई) तक सहन कर सकते हैं, जबकि इंसान 800 रेड में ही मर जाते हैं. जापान में हुए हमलों में 10,300 रेड की गामा किरणें निकली थीं, जो इंसानों के लिए घातक थीं. लेकिन कॉकरोच का शरीर इस रेडिएशन को झेलने में सक्षम था.

कॉकरोच की ताकत का क्या है कारण?

वैज्ञानिकों ने पाया कि कॉकरोच और इंसानों में कोशिका विभाजन की गति में बड़ा अंतर है. इंसानों में कोशिकाएं तेजी से विभाजित होती हैं, जिससे रेडिएशन का असर ज्यादा होता है. लेकिन कॉकरोच की कोशिकाएं धीरे-धीरे हफ्ते में एक बार विभाजित होती हैं. इस धीमी प्रक्रिया की वजह से रेडिएशन का उन पर कम असर पड़ता है.

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