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Video: न हेलीकॉप्टर आया, न एम्बुलेंस पहुंची… फिर छात्रों ने जो किया, वो बन गया इंसानियत की मिसाल!

Rescue Viral Video: मंडी जिले में बादल फटने की घटना के बाद कई लोगों के लापता होने की खबर है. जहां एक तरफ राज्य के हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ इंसानियत और बहादुरी की एक कहानी सोशल मीडिया पर दिल जीत रही है.

 
Video: न हेलीकॉप्टर आया, न एम्बुलेंस पहुंची… फिर छात्रों ने जो किया, वो बन गया इंसानियत की मिसाल!
Alkesh Kushwaha|Updated: Jul 17, 2025, 08:34 AM IST
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Pregnant Teachers Stuck In Himachal Flood: हिमाचल प्रदेश में जुलाई की शुरुआत से हो रही लगातार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. बादल फटने, लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड्स के कारण कई इलाकों में भारी तबाही देखने को मिली. मंडी जिले में बादल फटने की घटना के बाद कई लोगों के लापता होने की खबर है. जहां एक तरफ राज्य के हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ इंसानियत और बहादुरी की एक कहानी सोशल मीडिया पर दिल जीत रही है.

क्या है वायरल वीडियो की कहानी?

यह कहानी मंडी जिले के थुनाग इलाके की है, जहां कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री की दो गर्भवती शिक्षिकाएं बाढ़ के कारण कॉलेज परिसर में फंस गई थीं. सड़कें बंद थीं और आपातकालीन सेवाएं वहां तक पहुंचने में असमर्थ थीं. ऐसे में कॉलेज के छात्रों ने कमाल की हिम्मत और समझदारी दिखाई. उन्होंने लकड़ी से एक अस्थायी पालकी (कुर्सीनुमा संरचना) बनाई और इन शिक्षिकाओं को कंधों पर उठाकर 11 किलोमीटर पैदल चलकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया.

 

 

किसने शुरू की ये पहल?

यह सराहनीय काम छात्रों और कॉलेज स्टाफ ने मिलकर किया. 2 जुलाई को जब हालात गंभीर हो गए और कोई सरकारी मदद नहीं पहुंच सकी, तब इन युवाओं ने खुद मोर्चा संभाला. उन्होंने पहाड़ों के संकरे रास्तों, बहते नालों और फिसलन भरे इलाकों को पार करते हुए, थुनाग से बगस्याड तक ये चुनौतीपूर्ण सफर तय किया.

लोगों का क्या कहना है इस वीडियो पर?

इस वीडियो को इंस्टाग्राम पेज सिर्फ चंडीगढ़ पर शेयर किया गया, जिसमें लिखा गया – “हिमाचल प्रदेश के असली हीरो. बादल फटने के बाद कॉलेज की छात्राओं ने अपनी गर्भवती प्रोफेसर को 11 किलोमीटर तक उठाकर सुरक्षित स्थान पहुंचाया. सच्ची बहादुरी!” इस वीडियो ने इंटरनेट पर लोगों का दिल जीत लिया. एक यूजर ने लिखा, "यही है मेरा प्यारा देश, जहां लोग जरूरत में मदद के लिए खड़े होते हैं." एक और ने कहा, "ये वो पल हैं जब पुरुष सच में रक्षक और सहायक की भूमिका निभाते हैं. जहां सरकार की मदद नहीं पहुंच सकी, वहां युवाओं ने जिम्मेदारी निभाई."

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