Salary EMI Problem For Employee: एक रेडिट यूजर ने अपनी परेशानी शेयर की है, जिसमें वह 30,000 रुपये की मासिक कमाई के बावजूद कर्ज के जाल में फंस गए हैं. अपनी पोस्ट में, जिसका टाइटल है “क्या मुझे पुराने कर्ज चुकाने के लिए नया लोन लेना चाहिए?” उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में बताया. यह कहानी भारत के शहरी मिडिल क्लास में बढ़ते कर्ज और क्रेडिट पर निर्भरता की चिंता को दर्शाती है.
चार लोनों का बोझ
यूजर ने बताया कि वह हर महीने 22,800 रुपये चार अलग-अलग लोनों की EMI चुकाने में खर्च कर रहे हैं. इनमें 7,500 रुपये, 5,000 रुपये (जो जल्द ही 10,000 रुपये हो जाएगा), 2,000 रुपये और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पर्सनल लोन की 8,300 रुपये की EMI शामिल है. उनकी पूरी सैलरी जरूरी खर्चों जैसे खाना, दवाइयां, मेडिकल चेकअप, बिजली और फोन बिल में चली जाती है. उनके पास बचत या आपातकालीन खर्चों के लिए कोई पैसा नहीं बचता. गैर-जरूरी खर्च जैसे कपड़े या शराब से वह पूरी तरह बचते हैं.
नया लोन: राहत या नई मुसीबत?
यूजर की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है और अब वह SBI से 3 लाख रुपये का नया लोन लेने की सोच रहे हैं. इस लोन से वह अपने सारे पुराने कर्ज चुका सकते हैं और सभी EMI को एक ही EMI में बदल सकते हैं, जो 8,300 रुपये होगी. इससे उनकी मासिक EMI का बोझ कम हो सकता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह फैसला सही होगा या लंबे समय में नुकसानदायक साबित होगा?
रेडिट यूजर्स की क्या है राय?
रेडिट पर इस पोस्ट को पढ़ने वाले लोगों ने अलग-अलग सलाह दी. कुछ ने सावधानी बरतने को कहा. एक यूजर ने लिखा, “तुम पहले ही अपने पुराने लोनों पर बहुत ब्याज चुका चुके हो. नया लोन लेने से कुल ब्याज और बढ़ सकता है.” एक अन्य ने सुझाव दिया, “सबसे पहले ज्यादा ब्याज वाले लोन को जल्दी चुकाने की कोशिश करो, भले ही कुछ महीनों तक कंजूसी करनी पड़े. नया लोन तभी लो, जब बहुत जरूरी हो.”
हालांकि, कई यूजर्स ने नए SBI लोन के पक्ष में बात की, बशर्ते इसे सावधानी से मैनेज किया जाए. एक यूजर ने कहा, “अगर तुम 3 लाख रुपये का पूरा लोन सिर्फ पुराने कर्ज चुकाने में इस्तेमाल करो और नया कर्ज लेने से बचो, तो यह तुम्हारी मदद कर सकता है. इससे तुम्हारी EMI कम होगी और कुछ पैसे बच सकते हैं.” एक अन्य ने कहा, “यह कदम तुम्हारी आर्थिक स्थिति को आसान बना सकता है और एक छोटा इमरजेंसी फंड बनाने की जगह दे सकता है, लेकिन सिर्फ तभी, अगर तुम दोबारा कर्ज के जाल में नहीं फंसते.”