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शख्स ने मां के बैठने के लिए सोफे की जगह खरीदा 'ताबूत', जानें इस 'अजीब' वजह का पूरा सच!

China News:  चीन के हुनान प्रांत में एक व्यक्ति ने अपनी 70 वर्षीय मां के लिए ताबूत खरीदा और पारंपरिक जुलूस निकाला. यह अनोखा अनुष्ठान उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना के लिए किया गया. ताबूत को शुभ माना जाता है और आयोजन के बाद दावत भी दी गई.   

शख्स ने मां के बैठने के लिए सोफे की जगह खरीदा 'ताबूत', जानें इस 'अजीब' वजह का पूरा सच!
Shivam Tiwari|Updated: Jul 12, 2025, 12:10 PM IST
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China News: चीन में एक शख्स ने अपनी 70 साल की मां के लिए ताबूत खरीदा, लेकिन ये ताबूत मौत के बाद नहीं, ज़िंदा मां के लिए था. शख्स ने अपनी मां को ताबूत में बैठाकर एक जुलूस निकाला, जिसमें 16 कुली और एक ब्रास बैंड शामिल था. यह दृश्य बिल्कुल किसी पारंपरिक शवयात्रा की तरह लग रहा था, लेकिन इसका उद्देश्य कुछ और था.

क्यों कराया गया ये अनोखा अनुष्ठान?

यह मामला दक्षिणी चीन के हुनान प्रांत के चांगदे के ताओयुआन काउंटी का है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह एक पुरानी ग्रामीण परंपरा है जिसे आज भी कुछ समुदाय निभाते हैं. इस अनुष्ठान का उद्देश्य माता-पिता के प्रति श्रद्धा प्रकट करना और उनकी दीर्घायु की कामना करना होता है. इसमें बुजुर्ग को ताबूत पर बैठाकर घर लाया जाता है, जिससे माना जाता है कि उनके जीवन में खुशियां और लंबी उम्र आती है. 

घर पहुंचने पर किया गया खास पूजन

जुलूस में बुज़ुर्ग महिला हाथ में पंखा लेकर ताबूत में मुस्कराते हुए बैठी थीं. ताबूत पालकी में रखा गया था, जिसे आठ-आठ लोगों की दो टीमों ने उठाया हुआ था. घर पहुंचने पर एक छोटा सा धार्मिक अनुष्ठान भी किया गया. धूप जलाकर प्रसाद चढ़ाया गया और मां को ताबूत से उतारा गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि यह दृश्य उन्होंने पहले भी कुछ बार देखा है.

चीनी परंपरा में शुभ माना जाता है ताबूत

चीनी संस्कृति में ताबूत को अशुभ नहीं बल्कि शुभ चिन्ह माना जाता है. ताबूत के लिए चीनी शब्द “गुआनकाई” का अर्थ होता है 'आधिकारिक धन'. इसलिए यह मान्यता है कि ज़िंदा व्यक्ति को ताबूत पर बैठाने से न केवल उसकी उम्र लंबी होती है बल्कि घर में समृद्धि और खुशियां भी आती हैं.

दावत से हुई विदाई

इस अनुष्ठान के अंत में जुलूस में शामिल सभी लोग ताबूत ढोने वाले, बैंड वाले और मेहमानों के लिए विशाल दावत का आयोजन भी किया गया. इस आयोजन ने न केवल एक पुरानी परंपरा को जीवंत किया बल्कि बुज़ुर्ग मां के चेहरे पर मुस्कान और आसपास के लोगों में उत्साह भर दिया. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट और गुइझोऊ रेडियो टीवी स्टेशन की रिपोर्ट के अनुसार, यह परंपरा धीरे-धीरे कम होती जा रही है, लेकिन कुछ गांवों में आज भी इसे बड़े गर्व के साथ निभाया जाता है. यह एक तरह से जीवन का उत्सव माना जाता है, न कि मृत्यु का प्रतीक माना जाता है. 

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