Akanksha Gaikwad Success Story: आज भी हमारे समाज में महिलाओं के सामने कई तरह की चुनौतियां होती हैं. लेकिन फिर भी कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो इन कठिनाइयों को पार कर एक मिसाल कायम करती हैं. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है आकांक्षा गायकवाड़ की, जो आज सोशल मीडिया पर लोगों का दिल जीत रही है. उनकी कहानी ‘Humans of Bombay’ के लिंक्डइन पेज पर शेयर की गई है.
“मैं पोस्टमैन हूं- और हां...”
आकांक्षा ने अपनी पोस्ट में लिखा, “आप ये कोट, खाकी बैग और चिट्ठी देख रहे हैं? मैं पोस्टमैन हूं! हां, हम अब भी मौजूद हैं और हां, मैं एक महिला पोस्टमैन हूं.” आकांक्षा ने गणित में डिग्री हासिल की थी. तीन साल पहले उन्होंने इंडिया पोस्ट में नौकरी की शुरुआत की. हालांकि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो पोस्टवुमन बनेंगी. उन्होंने बताया, “पिता ने कहा था सरकारी नौकरी करनी है. मैंने सोचा था कोई डेस्क जॉब होगी. लेकिन वहां कहा गया – ‘तुम्हें चिट्ठियां बांटनी होंगी.’ मैं हैरान रह गई थी.”
26 मेल डिलीवरी वालों में अकेली महिला
आकांक्षा बताती हैं कि उस ऑफिस में कुल 26 डिलीवरी स्टाफ थे, जिनमें वह अकेली लड़की थीं. शुरू में माता-पिता भी चिंतित थे- “अब बेटी इधर-उधर घूम कर चिट्ठियां बांटेगी?” खुद आकांक्षा भी सोच में पड़ गईं, “क्या लोग आज भी चिट्ठियां भेजते हैं?” लेकिन पहले ही महीने में उनका नजरिया बदल गया. घंटों पैदल चलकर घर-घर जाकर चिट्ठियां देना आसान नहीं था, लेकिन इस दौरान उन्हें बहुत अच्छे लोग मिले. एक बार एक बूढ़ी आंटी ने दरवाजा खोला और कहा, “मुझे नहीं पता था महिलाएं भी चिट्ठियां देती हैं!” उन्होंने पानी पिलाया और खाना भी ऑफर किया.
आकांक्षा ने एक खूबसूरत पल शेयर किया, “एक दिन ऑफिस से लौटते समय पास की एक छोटी लड़की ने मुझसे कहा- ‘दीदी, मैं भी पोस्टवुमन बनना चाहती हूं.’ उस पल ने मुझे छू लिया.” अब तक आकांक्षा 1 लाख से ज्यादा चिट्ठियां बांट चुकी हैं. उनके माता-पिता भी अब उन पर गर्व करते हैं. आकांक्षा कहती हैं, “लोगों के चेहरे पर जो मुस्कान आती है चिट्ठी पाकर, वही मेरी खुशी है. मुझे लगता है मैं लोगों को जोड़ने का काम करती हूं.” पूरा पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें-
सोशल मीडिया पर तारीफों की बौछार
आकांक्षा की ये कहानी वायरल हो चुकी है. एक यूजर ने लिखा, “आप सिर्फ चिट्ठियां नहीं बांटतीं, आप लोगों के दिलों में गर्माहट पहुँचाती हैं।” दूसरे ने कहा, “आपकी मुस्कान ही सब कुछ कह देती है.”