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बेटा, मुझे उठा देना... मेट्रो की फर्श पर लेट गए थके-हारे बुजुर्ग, यात्री ने फिर यूं बतलाई दर्दभरी कहानी

Old Man Metro Story: इस एक घटना ने सोशल मीडिया पर संवेदनशीलता और सहानुभूति के नए आयाम खोल दिए. दिल्ली की भीषण गर्मी और तेज़ ज़िंदगी के बीच यह पल एक ठहराव जैसा था – एक ऐसा पल जिसमें एक थके हुए इंसान की खामोश तकलीफ को महसूस किया गया.

 
बेटा, मुझे उठा देना... मेट्रो की फर्श पर लेट गए थके-हारे बुजुर्ग, यात्री ने फिर यूं बतलाई दर्दभरी कहानी
Alkesh Kushwaha|Updated: Jun 17, 2025, 08:52 AM IST
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Delhi Metro Story: दिल्ली मेट्रो में हाल ही में घटित एक साधारण लेकिन भावुक कर देने वाला वाकया सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. आमतौर पर मेट्रो से जुड़ी घटनाएं या तो अजीब होती हैं या विवादास्पद, लेकिन इस बार मामला दिल को छू जाने वाला है. एक यात्री ने मेट्रो में एक बुजुर्ग व्यक्ति को फर्श पर लेटे हुए देखा. गर्मी से बेहाल दिल्ली में यह नजारा बहुत असामान्य जरूर था, लेकिन लोगों ने इसमें एक दर्द और थकावट देखी.

इस घटना को देखने वाले यात्री ने बाद में सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं शेयर कीं. उसने बताया कि जब वह मेट्रो में चढ़ा तो बुजुर्ग व्यक्ति आरक्षित सीटों पर आराम कर रहे थे. कुछ देर बाद उन्होंने बैठकर कहा, “बेटा, मुझे पीरागढ़ी जाना है. जब इंद्रलोक आए तो उठा देना.” इस पर उस यात्री ने जवाब दिया, “अंकल, मैं अगले स्टेशन पर उतर जाऊंगा, इंद्रलोक अभी 5-6 स्टेशन दूर है आप किसी और को कह देना.” फिर भी बुजुर्ग बोले, “ठीक है बेटा, जब इंद्रलोक आए तो बता देना.” और चुपचाप एक कपड़ा बिछाकर फर्श पर लेट गए.

 

Another day in Metro
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इस पल ने उस यात्री को सोच में डाल दिया. वह सोचता रहा कि क्या उसे कुछ और करना चाहिए था? इसी सवाल के साथ उसने पोस्ट को समाप्त किया: "Should I have done something?" यह सवाल इंटरनेट पर भावनाओं की लहर ले आया. कई लोगों ने लिखा कि वह किसी और यात्री या मेट्रो स्टाफ से मदद मांग सकता था. कुछ लोगों ने यह भी कहा कि बिना अनुमति के बुज़ुर्ग की फोटो लेना ठीक नहीं था. हालांकि, ज्यादातर लोगों ने इस घटना को एक इंसान की थकावट और उसकी मजबूरी के रूप में देखा, न कि एक नियम तोड़ने वाली हरकत के रूप में.

रेडिट पर इस पोस्ट पर ढेरों कमेंट्स आए. एक यूजर ने लिखा, “दर्दनाक है ये देखना कि बुज़ुर्ग लोग कितना संघर्ष करते हैं, लेकिन हर बार हम कुछ नहीं कर सकते. आपने उन्हें परेशान नहीं किया, बस यही काफी है.” दूसरे ने लिखा, “हम अक्सर नागरिकता की बातें करते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि सभ्यता एक लग्जरी है जो पैसे और पढ़ाई से आती है. उनके पास घर में AC नहीं होगा, इसलिए थोड़ी नींद लेने मेट्रो में आ गए.”

एक और यूजर ने लिखा, “अगर कोई जमीन पर बैठकर ताश खेल रहा हो तो वो अव्यवस्था मानी जाएगी, लेकिन यहां मामला थकान का है. हालांकि नियमों के अनुसार यह गलत है, लेकिन अंकल को शायद इसका अंदाजा भी नहीं होगा.”  

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