Mobile Airplane Mode In Plane: जब भी आप फ्लाइट में बैठते हैं तो आपको बार-बार यह कहा जाता है कि अपना फोन ‘एयरप्लेन मोड’ पर डालें. कई लोग सोचते हैं कि ये बस एक फॉर्मेलिटी है, लेकिन हाल ही में एक पायलट ने इसका असली कारण बताया है. टिकटॉक पर @PerchPoint नाम के एक पायलट ने वीडियो में बताया कि एयरप्लेन मोड कोई साजिश नहीं बल्कि एक जरूरी सुरक्षा उपाय है. यह वीडियो अब फिर से वायरल हो रहा है, क्योंकि हाल ही में एविएशन इंडस्ट्री में कई टेक्निकल समस्याएं सामने आई हैं.
क्या फोन एयरप्लेन मोड पर नहीं करने से जहाज क्रैश हो सकता है?
पायलट ने साफ कहा, नहीं. आपका फोन अगर एयरप्लेन मोड पर नहीं है, तो जहाज आसमान से नहीं गिरेगा और उसके जरूरी सिस्टम भी बंद नहीं हो होंगे. लेकिन फिर भी यह एक सुरक्षा नियम है, जिसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.
असल में क्या असर पड़ता है अगर फोन मोड पर ना हो?
FAA (Federal Aviation Administration) और एयरलाइंस यह मानती हैं कि मोबाइल सिग्नल विमान के नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम में दखल डाल सकते हैं. इससे उड़ान में देरी, कम्युनिकेशन बाधित होना या जरूरत पड़ने पर जरूरी संदेश न मिल पाना जैसी स्थितियां बन सकती हैं.
पायलट के हेडसेट में कैसी दिक्कत आती है?
पायलट ने एक खास अनुभव शेयर किया जब वो विमान को लैंड करा रहे थे. उन्होंने बताया कि कई बार हेडसेट में ऐसा साउंड आता है जैसे कोई मच्छर या ततैया उड़ रहा हो. यह तब होता है जब कुछ यात्रियों के फोन लगातार टावर से कनेक्शन बनाने की कोशिश करते हैं. यह रेडियो वेव्स भेजते हैं, जो पायलट के हेडसेट को डिस्टर्ब कर सकती हैं और ज़रूरी निर्देशों को सुनने में परेशानी हो सकती है.
तकनीकी रूप से कितना बड़ा खतरा है?
अब तक किसी फ्लाइट क्रैश का कारण मोबाइल फोन नहीं रहा है, लेकिन फिर भी इसे सावधानी भरा कदम माना जाता है. कई लोगों के फोन ऑन रहने से कॉकपिट में आवाज़ें आना, टेक्निकल डिस्टर्बेंस होना और फ्लाइट की सेफ्टी को मामूली नुकसान हो सकता है.
क्या बैटरी भी तेजी से खत्म होती है?
अगर आपने फोन को एयरप्लेन मोड पर नहीं किया, तो वह लगातार नेटवर्क सर्च करता रहेगा, जिससे आपकी बैटरी जल्दी खत्म हो सकती है. इससे न तो आपकी कॉल लगेगी और न ही आप इंटरनेट चला पाएंगे, लेकिन बैटरी जरूर डाउन हो जाएगी.