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Viral Video : तू आया नहीं बेबी, तू बोल के गया था...शहीद पायलट की अंतिम विदाई पर फूट-फूट कर रोई मंगेतर!

Pilot Siddharth Yadav : हरियाणा के रेवाड़ी में शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव का राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान उनकी मंगेतर सानिया जोर-जोर से रोने लगीं. बताया जा रहा है, कि सिद्धार्थ और सानिया की शादी 2 नवंबर को तय थी.  

Viral Video
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Shiv Govind Mishra|Updated: Apr 04, 2025, 06:39 PM IST
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Viral Video Pilot Siddharth Yadav : हरियाणा के रेवाड़ी के शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को आज पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. उनके पैतृक गांव भालखी माजरा में पिता सुशील यादव ने 28 वर्षीय बेटे की चिता को मुखाग्नि दी. इस दौरान वायुसेना की टुकड़ी ने उल्टे हथियार से फायरिंग कर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान सिद्धार्थ यादव की मंगेतर सानिया जोर-जोर से रोने लगीं.

सगाई के 10 दिन बाद आई शहादत की खबर

सिद्धार्थ की 10 दिन पहले ही सगाई हुई थी, और उनकी मंगेतर सानिया अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंची. शहीद का पार्थिव शरीर देखकर वह बार-बार रो रही थीं और तस्वीर देखते हुए बोलीं, "बेबी, तू आया नहीं मुझे लेने. तूने कहा था तू आएगा." सिद्धार्थ और सानिया की शादी 2 नवंबर को तय थी, जिसके लिए घर में तैयारियां चल रही थीं. सानिया पार्थिव शरीर को देखकर बार-बार कहती रहीं, "प्लीज, एक बार उनकी शक्ल दिखा दो." लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें सिद्धार्थ की शहादत पर गर्व है. अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ की मां सुशीला बोलीं - मुझे बेटे पर गर्व 

शहीद की मां सुशीला यादव और बहन खुशी इस क्षण में गहरे दुख में डूबी रहीं. मां ने भावुक होते हुए कहा, "मुझे अपने बेटे पर गर्व है. मैं देश की हर मां से कहना चाहती हूं कि वे अपने बेटों को देश सेवा के लिए सेना में भेजें. वह कभी डरा नहीं, बल्कि गर्व से देश के लिए बलिदान दिया. हमारा पूरा परिवार सेना में रहा है और यह जानने के बावजूद मैंने उसे सेना में भेजा. उसकी शहादत पर मुझे गर्व है." रुंधे गले से उन्होंने कहा, "मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती कि वह कैसा इंसान था."

सिद्धार्थ ने लोगों को बचाने के लिए किया खुद को कुर्बान

वहीं, सुशील यादव ने गर्व से बताया कि उनके परिवार की चार पीढ़ियां सेना में सेवा दे चुकी हैं. उन्होंने कहा, "मुझे बताया गया कि सिद्धार्थ अंतिम समय में पैराशूट से कूद सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि नीचे आम लोग मौजूद थे. अपने प्राणों की चिंता किए बिना उन्होंने लोगों की जान बचाने का फैसला किया."

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