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Viral Video : प्रेमानंद महाराज के दरबार में बोला - 150 लोगों से बनाए संबंध, अब मुझे....

Viral Video : प्रेमानंद जी महाराज के भक्त देश-विदेश में फैले हुए हैं और लोग अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए उनसे मिलने आते हैं. उनकी सबसे बड़ी विशेषता है कि वे कठीन मुद्दों को भी सहज भाषा में समझाते हैं. इन दिनों उनका एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वो व्यभिचार करने वालों को समझाते नजर आ रहे हैं.  

Viral Video
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Shiv Govind Mishra|Updated: Apr 18, 2025, 11:16 PM IST
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Viral Video : प्रेमानंद जी महाराज के अनुयायी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बड़ी संख्या में हैं. लोग अपने जीवन की परेशानियों का समाधान जानने के लिए दूर-दूर से उनके दर्शन करने आते हैं. उनकी खासियत यह है कि वे जटिल से जटिल समस्याओं का हल भी बहुत सरल शब्दों में बताते हैं, यही वजह है कि उनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

प्रेमानंद जी महाराज ने समझाया

हाल ही में वृंदावन में जब प्रेमानंद जी महाराज का सत्संग चल रहा था, तो एक व्यक्ति ने बेहद भावुक होकर ऐसा सवाल पूछ लिया जिससे वहां मौजूद हर कोई चौंक गया. उसने कहा कि वह अब तक 150 से अधिक पुरुषों के साथ संबंध बना चुका है और अब इस आदत से छुटकारा पाना चाहता है क्योंकि उसे अपने किए पर गहरा पछतावा है.

प्रेमानंद जी, जो अपनी शांति और करुणामयी वाणी के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने बेहद सहजता से उत्तर दिया. उन्होंने समझाया कि जैसे कोई बीमार व्यक्ति डॉक्टर के सामने अपनी हर कमजोरी बिना छिपाए रखता है, वैसे ही अध्यात्म की राह पर चलने वालों को संतों के समक्ष अपने मन की बात खुले दिल से रखनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्ति में आत्मचिंतन की भावना जागना, ईश्वर की विशेष कृपा का संकेत है.

आत्मचिंतन जरूरी

उन्होंने बताया कि ऐसी आदतें किसी के साथ जन्म से नहीं आतीं, बल्कि ये हमारे पिछले जन्मों के संस्कारों और इस जीवन में मिले अनुभवों का असर हो सकती हैं. लेकिन इन्हें बदला जा सकता है—ध्यान, भक्ति और आत्मचिंतन के जरिए.

ईमानदारी से सवाल करें- प्रेमानंद महाराज

उन्होंने यह भी समझाया कि अगर आप खुद से ईमानदारी से सवाल करें, तो आपको एहसास होगा कि इस प्रवृत्ति ने आपको कभी सच्चा और स्थायी सुख नहीं दिया. इसलिए जरूरी है कि अब आप संयम का रास्ता अपनाएं, जीवन में अनुशासन लाएं, ईश्वर का स्मरण करें और समाज की सेवा में खुद को लगाएं. जब तक हम धर्म और मर्यादा का पालन नहीं करते, तब तक न खुद का भला हो सकता है और न ही दूसरों का. इसलिए यह सोचने का समय है कि अब जीवन को किस दिशा में आगे बढ़ाना है.

परमात्मा के लिए मिला शरीर

महाराज जी ने व्यक्ति को समझाते हुए कहा, “तुम्हारा शरीर सांसारिक जाल में उलझने के लिए नहीं, बल्कि परमात्मा की ओर बढ़ने के लिए बना है. अपने अपराधबोध में मत उलझो, बल्कि अब आत्मिक जागृति की ओर कदम बढ़ाओ.” उन्होंने उसे सलाह दी कि वह वृंदावन की परिक्रमा करे, मौन साधे, 'राधे-राधे' का जाप करे और साष्टांग दंडवत करके अपने कर्मों के लिए क्षमा मांगे. उन्होंने भरोसा दिलाया कि वृंदावन दयालु है, वह न सिर्फ क्षमा करेगा, बल्कि तुम्हारे जीवन को नई दिशा भी देगा.

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