British Passport: कई लोगों के लिए नाम बदलना एक निजी फैसला होता है, जो अक्सर जिंदगी के बड़े बदलाव से जुड़ा होता है. लेकिन इलीन डे बोंट (Eileen De Bont), जो अब पुड्सी बेयर के नाम से जानी जाती हैं, उन्होंने यह कदम एक खास मकसद के लिए उठाया. उन्होंने 2009 में ‘चिल्ड्रन इन नीड’ के लिए पैसे जुटाने के लिए अपने नए नाम को नीलामी में रखा. मेट्रो अखबार के मुताबिक, यूके डीड पोल सर्विस ने £4,000 (लगभग 4.4 लाख रुपये) की सबसे बड़ी बोली लगाई और तब से वह अपने अनोखे नाम को अपनाए हुए हैं.
हालांकि उनका नाम बैंक खातों, बिलों और सरकारी रिकॉर्ड में पुड्सी बेयर के रूप में दर्ज है, लेकिन यूके पासपोर्ट ऑफिस इसे मान्यता नहीं देता. अधिकारियों ने उनके नाम को हल्का-फुल्का बताकर और कॉपीराइट की समस्या उठाकर पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया. 16 साल बाद भी वह अपने नाम को पासपोर्ट पर दर्ज कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं. पुड्सी ने मेट्रो से कहा, “वे मुझे मेरी पहचान नहीं देते. मेरे बिल, बैंक डिटेल, डॉक्टर, स्थानीय हेल्थ ट्रस्ट—सब जगह मेरा नया नाम स्वीकार किया गया है, सिवाय पासपोर्ट ऑफिस के.”
पासपोर्ट ऑफिस की मुश्किलें
2009 में उनकी पहली पासपोर्ट अर्जी खारिज हुई थी. हाल ही में दोबारा कोशिश करने पर भी वही जवाब मिला— उनका नाम बीबीसी के ‘चिल्ड्रन इन नीड’ मस्कॉट का कॉपीराइट तोड़ सकता है. पुड्सी ने कहा, “16 साल बाद भी पासपोर्ट ऑफिस मेरा नाम ‘हल्का-फुल्का’ नहीं कह सकता. यह मेरा नाम है, 16 साल से है और मैं इसे अपने पासपोर्ट पर अपनी तस्वीर के साथ देखना चाहती हूं.”
पुड्सी का फैसला: नाम नहीं बदलेंगी
वह अपने चुने हुए नाम पर अड़ी हुई हैं. उन्होंने कहा, “मुझे अपना नाम वापस बदलने की जरूरत नहीं लगती. मैं 16 साल से पुड्सी हूं, और मुझे अपना नाम पसंद है.” उनके यूट्यूब पर 32,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और उनका टैरो कार्ड बिजनेस ‘नॉर्दर्न लाइट टैरो’ भी इसी नाम से रजिस्टर्ड है. चूंकि पुड्सी बेयर 1985 से बीबीसी चिल्ड्रन इन नीड का मस्कॉट है, होम ऑफिस ने सुझाव दिया कि वह बीबीसी से इजाजत लें और फिर अर्जी दें.